CBSE 12वीं परीक्षा की संभावित तिथि का हो ऐलान, ऑनलाइन एग्जाम का भी है ऑप्शन: बिहार शिक्षा मंत्री

बिहार के शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने मंगलवार को कहा कि बोर्ड परीक्षा का आयोजन जरूर होना चाहिए क्योंकि यह विद्यार्थियों के जीवन में अहम भूमिका निभाती है। उन्होंने कहा कि हालांकि अभी कोरोना की स्थिति के चलते परीक्षा का आयोजन नहीं हो सकता लेकिन एक संभावित तिथि जारी की जानी चाहिए। बोर्ड के पास ऑनलाइन मोड से परीक्षा कराने का भी ऑप्शन है। गौरतलब है कि केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय ने राज्य सरकारों से 25 मई तक विस्तृत सुझाव भेजने का आग्रह किया है। राज्यों के सुझाव आने के बाद ही केंद्र सरकार निर्णय करेगी।

केंद्र सरकार ने कहा है कि 12वीं की परीक्षाओं के लेकर 1 जून को फैसला लिया जाएगा। दिल्ली को छोड़कर ज्यादातर राज्यों ने 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं आयोजित कराने का सुझाव दिया है।

सीबीएसई ने 12वीं की परीक्षा के लिए दो ऑप्शन का प्रस्ताव रखा है। पहले ऑप्शन में सीबीएसई ने कहा है कि केवल प्रमुख विषयों के लिए कक्षा 12वीं की बोर्ड परीक्षा आयोजित की जा सकती है। बोर्ड 12वीं के 174 विषय में परीक्षा का आयोजन करता है, जिनमें से लगभग 20 विषय ऐसे है जो सीबीएसई की ओर से महत्वपूर्ण माने जाते हैं। इनमें भौतिकी, रसायन विज्ञान, गणित, जीव विज्ञान, इतिहास, राजनीति विज्ञान, व्यवसाय अध्ययन, लेखा, भूगोल, अर्थशास्त्र और अंग्रेजी विषय शामिल हैं।

सीबीएसई द्वारा सुझाए दूसरे ऑप्शन के तहत कक्षा 12वीं के छात्र महत्वपूर्ण विषय की परीक्षा अपने स्कूलों में (सेल्फ सेंटर) में दे सकते हैं। ये 3 घंटे की बजाए डेढ़ घंटे की होगी। स्कूल में ही कॉपियां चेक की जाएं। अगर प्रश्न पत्र में ऑब्जेक्टिव और शॉर्ट टर्म प्रश्न ही पूछे जाने चाहिए। वैकल्पिक विषयों में प्रदर्शन के आधार पर पांचवें और छठे विषयों के अंक तय किए जाएंगे।

सूत्रों ने दावा किया कि ज्यादातर राज्य दूसरे विकल्प के पक्ष में है जबकि कुछ राज्य इनके मिले-जुले स्वरूप की बात कह रहे हैं।

गौरतलब है कि कोविड-19 महामारी की दूसरी लहर के कारण 14 अप्रैल को केंद्रीय माध्यमिक शिक्षा बोर्ड की 12वीं की बोर्ड परीक्षाएं स्थगित कर दी गई थीं और 10वीं कक्षा की बोर्ड की परीक्षा को रद्द कर दिया गया था। यह फैसला प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में हुई बैठक में किया गया था। ये परीक्षाएं 4 मई से 14 जून के बीच होनी थीं।

महामारी के इस दौर में भिन्न प्रारूप में बारहवीं कक्षा की परीक्षा आयोजित करने की सरकार की योजना पर शिक्षा क्षेत्र बंटा हुआ नजर आ रहा है जबकि विद्यार्थियों एवं उनके अभिभावकों का एक समूह इसे रद्द करने की मांग कर रहा है। कई लोगों की दलील है कि परीक्षाएं ‘ अहम होती हैं तथा वैकल्पिक मूल्यांकन इंसाफ नहीं कर पाएगा। हालांकि अन्य लोगों की राय है कि विद्यार्थियों एवं अध्यापकों का ‘कल्याण ऐसी असाधारण स्थिति में सर्वोपरि है।

वैसे रविवार को उच्च स्तरीय बैठक के बाद शिक्षा मंत्री ने कहा कि परीक्षाएं आयोजित कराने पर राज्यों के बीच व्यापक सहमति है और एक जून तक इस बारे में अंतिम निर्णय की घोषणा कर दी जाएगी।

नेशनल स्टूडेंट्स यूनियन ऑफ इंडिया के अध्यक्ष नीरज कुंदन ने कहा, ”इन 19 विषयों के लिए परीक्षाएं आयोजित करना समान रूप से खतरनाक है क्योंकि यह सभी विषयों के लिए होगा एवं देश में वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए यह एक ऐसा जोखिम नहीं है जिसे मोदी सरकार को लेना चाहिए। विद्यार्थियों की जान जोखिम में डालना ऐसी आखिरी चीज है जिसे इस सरकार को करना चाहिए।

इंडिया वाइड पैरेंट्स एसोसिएशन की अध्यक्ष अनुभा श्रीवास्तव ने कहा, ” बोर्ड परीक्षाओं को लेकर कोई सर्वसम्मत निर्णय नहीं होने के करण भारत में पूरी अराजकता है। यह सब पूर्व नियोजित है। उनकी जुलाई में परीक्षाएं आयोजित करने की योजना है क्योंकि उनके पास ऑनलाइन परीक्षा के लिए इंतजाम नहीं है तथा अंदरूनी मूल्यांकन, उनकी विफलता है।

अह्लकॉन ग्रुप ऑफ स्कूल्स के निदेशक अशोक पांडे ने कहा, ” परीक्षाएं महत्वूपर्ण हैं लेकिन असाधारण स्थिति में सहानुभूति, कल्याण की चिंता परीक्षाओं के आयोजन के प्रयास से पहले आनी चाहिए।

दिल्ली स्टेट पब्लिक स्कूल्स मैनेजमेंट एसोसिएशन के अध्यक्ष आर सी जैन ने कहा, ” हम परीक्षाएं कराने के लिए तैयार हैं। परीक्षाएं नहीं कराने के लिए टीकाकरण का बहाने के तौर पर दिल्ली सरकार द्वारा इस्तेमाल करना उचित नहीं है। परीक्षाएं अहम हैं और वैकल्पिक मूल्यांकन से इंसाफ नहीं होगा।

दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया ने बैठक में कहा था कि उनकी सरकार सीबीएसई द्वारा गौर किये जा रहे परीक्षाएं आयेाजित करने के विकल्पों के पक्ष में नहीं है तथा विद्यार्थियों के टीकाकरण के बिना इस दिशा में बढ़ना एक बड़ी भूल साबित होगी।

सूत्रों के अनुसार सीबीएसई ने 15 जुलाई से 26 अगस्त तक परीक्षाएं आयोजित करने का प्रस्ताव रखा। उसका यह भी प्रस्ताव है कि 19 बड़े विषयों की नियमित परीक्षा हो या लघु अवधि परीक्षा हो।

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