केंद्र ने COVID-19 महामारी के कारण सोने के आभूषणों और कलाकृतियों की अनिवार्य हॉलमार्किंग (Gold Hallmarking) की समय सीमा को अब 15 जून कर बढ़ा दिया है। कंज्यूमर अफेयर मिनिस्टर पीयूष गोयल की अध्यक्षता में हुई बैठक में इस संबंध में निर्णय लिया गया। पहले इसे 1 जून 2021 से लागू किए जाने की उम्मीद थी। बता दें कि व्यापारियों के संगठन कंफेडरेशन ऑफ ऑल इंडिया ट्रेडर्स और ज्वेलरी इंडस्ट्री (Jewelery Industry) से जुड़े ट्रेडर्स ने सरकार से हॉलमार्किंग लागू होने की 1 जून 2021 की तारीख बढ़ाने की मांग की थी। मौजूदा हालात को देखते हुए सरकार ने उनकी ये मांग मान ली है।
कई बार बढ़ चुकी है हॉलमार्किंग की डेडलाइन
देशभर में हॉलमार्किंग (hallmarking) लागू करने की तारीख कई बार बढ़ाई जा चुकी है। इसे जनवरी 2021 में लागू होना था, लेकिन कोरोना की वजह से डेडलाइन बढ़ाकर 1 जून 2021 कर दी गई थी। अब इसे एक बार फिर बढ़ाकर 15 जून 2021 कर दिया गया है।
हॉलमार्क गोल्ड जल्द से जल्द मिलना जरूरी: गोयल
लाइव मिंट की रिपोर्ट के मुताबिक, सही कॉर्डिनेशन सुनिश्चित करने और इसे लागू करने से जुड़े मुद्दों को हल करने के लिए एक समिति का गठन किया गया था। इस मौके पर पीयूष गोयल ने कहा कि भारत में सोने के आभूषणों में दुनिया के सर्वोत्तम मानक होने चाहिए। उन्होंने कहा कि ग्राहकों को बिना किसी और देरी के हॉलमार्क प्रमाणित सोना जल्द से जल्द पूरे देश में मिल जाना चाहिए।
ज्वेलर्स इसलिए चाहते हैं डेडलाइन बढ़ाना
ज्वेलर्स का कहना है कि देश में पर्याप्त मात्रा में हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है। 11 राज्यों में एक भी हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है। 66.58 फीसदी जिलों में अभी हॉलमार्किंग सेंटर नहीं है।
क्यों जरूरी है ज्वैलरी की हॉलमार्किंग
>> ग्राहकों को नकली ज्वैलरी से बचाने और ज्वैलरी कारोबार की निगरानी के लिए हॉलमार्किंग जरूरी है।
>> हॉलमार्किंग का फायदा यह है कि जब आप इसे बेचने जाएंगे तो किसी तरह की डेप्रिसिएशन कॉस्ट नहीं काटी जाएगी। मतलब आपको सोने की सही कीमत मिल सकेगी।
>> हॉलमार्किंग में सोना कई फेज में गुजरता है। ऐसे में इसकी शुद्धता में गड़बड़ी की गुंजाइश नहीं रहती।
>> इसके साथ ही पिछले साल पारित बीआईएस कानून के मुताबिक हॉलमार्किंग के नियम तोड़ने वालों पर न्यूनतम 1 लाख रुपए से ज्वैलरी की वैल्यू के 5 गुना तक जुर्माने और एक साल की सजा का प्रावधान है।