आरटीआई में खुलासा:एक साल में ही कैट का खर्चा 21 से बढ़कर 41 करोड़ पर पहुंचा, 33 हजार छात्र कम होने पर भी दोगुना खर्च, आईआईएम नहीं दे पाया कारणों का उत्तर

देश के श्रेष्ठ बिजनेस स्कूल्स में दाखिले को लेकर इस साल का कैट नवंबर में प्रस्तावित है। एग्जाम से पहले कैट का खर्चा, चर्चा का विषय बन गया है। दरअसल, फाइनेंशियल ईयर का ब्यौरा कैट का आॅर्गेनाइजिंग आईआईएम काफी समय बाद जारी करता है, लेकिन हाल में एक आरटीआई के जबाव में चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं।

साल 2017 में करीब 33 हजार छात्र कम होने के बावजूद कैट का खर्च 21 करोड़ से बढ़कर 41 करोड़ तक पहुंच गया। आरटीआई एक्टिविस्ट सुजीत स्वामी ने यह आरटीआई लगाई थी। आईआईएम अहमदाबाद ने कैट 2015, बेंगलुरु ने कैट 2016 एवं लखनऊ ने कैट 2017 आयोजित किया था। साल 2015 व 2016 में हुए कैट में खर्च 20 करोड़ के लगभग था, लेकिन हैरानी की बात है कि कैट-2017 में यह बढ़कर 41 करोड़ तक पहुंच गया।

कैट 2015 में कुल छात्र संख्या 2,18,664 थी और परीक्षा में 20.62 करोड़ का खर्चा आया था। वहीं कैट 2016 में छात्रों की संख्या 2,33,343 हो गई और खर्चा 20.97 करोड़ हो गया। अब साल 2017 में अभ्यर्थियों का रुझान बहुत कम रहा एवं संख्या घटकर 1,99,612 ही रह गई, लेकिन खर्च कम होने की जगह 41.49 करोड़ तक पहुंच गया।

ये रही थी एप्लीकेशन फीस, ज्यादा अंतर भी नहीं
आरटीआई एक्टिविस्ट सुजीत ने बताया कि कैट 2015 में सामान्य व ओबीसी की फॉर्म फीस 1600 व आरक्षित वर्ग की 800 रुपए थी। कैट 2016 में 1700 व 850 रही तथा कैट 2017 में बढ़कर 1800 एवं 900 हो गई। फीस में भी अधिक बढ़ोतरी नहीं हुई, लेकिन आईआईएम, खर्च पर स्पष्ट जबाव नहीं दे पाया।

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