CBSE result: के कई स्कूलों ने अपने बोर्ड परीक्षा परिणाम को बेहतर बनाने की होड़ में नियमों को भुला दिया। बोर्ड के फॉर्मूले में अपने स्तर पर फेरबदल कर दिया। हर छात्र को 96 या इससे अधिक अंक दे दिए गए। इससे अधिकतर विद्यार्थियों के अंक 96 से 100 के बीच में हो गए। इस पर अब सीबीएसई ने स्कूलों को फिर से अवलोकन करने के लिए कहा है। एक बार फिर से अंकों को गाइडलाइन के अनुसार मोड्रेट करने का समय दिया।
सीबीएसई का मानना है कि हर छात्र 96 या उससे अधिक अंक प्राप्त नहीं कर सकता है। फॉर्मूले के तहत सुझाया गया था कि स्कूल प्रत्येक छात्र का तीन साल का परिणाम देखते हुए औसत अंक अपलोड करेंगे। हालांकि, कुछ स्कूलों ने रिजल्ट बेहतर करने के चक्कर में हर छात्र को अधिकतम अंक प्रदान कर दिए। अब इस स्थिति को सुधार करने के लिए स्कूलों को गाइडलाइन जारी की गई है। बता दें कि इस बार कोरोना महामारी के चलते परीक्षाएं नहीं हो सकीं। ऐसे में विद्यार्थियों के गत वर्षों के परीक्षा परिणाम को आधार बनाकर रिजल्ट तैयार करने का निर्णय लिया गया है।
यह है फॉर्मूला
मेरठ के बोर्ड परीक्षा के सिटी को-ऑर्डिनेटर और केएल इंटरनेशनल स्कूल के प्रधानाचार्य सुधांशु शेखर ने बताया कि स्कूलों को सीबीएसई की ओर से तय फॉर्मूले के हिसाब से अंक देने थे। उदाहरण के तौर पर यदि दस छात्रों के अंक 70 से 80 के बीच में है तो इनका पिछला रिकॉर्ड देखते हुए इसी रेंज में अलग-अलग अंक देने थे। ऐसा नहीं हो सकता कि सभी को 77, 79 अंक दे दिए जाएं। कुछ स्कूलों ने यह गलती की है।
गड़बड़ हो जाएगा रिजल्ट
मेरठ स्कूल सहोदय व सीआईएस के सचिव राहुल केसरवानी ने बताया कि सीबीएसई ने छात्र के पिछले रिकॉर्ड के हिसाब से 90 से 100 के बीच में अंक देने की बात कही तो कुछ स्कूलों ने अपने हर छात्र के अंक 96 और 99 तक कर दिए। यह गलत है। यदि ऐसा होगा तो अन्य छात्रों के अंक बहुत कम करने होंगे, क्योंकि स्कूल का हिस्टोरिकल ईयर भी सीबीएसई चेक कर रहा है। उसके हिसाब से रिजल्ट का प्रतिशत ही गड़बड़ा जाएगा।