कोरोनिल पर बोले रामदेव- सिर्फ कोट टाई वाले रिसर्च करेंगे क्या, धोती वाले नहीं कर सकते, हमने लाइसेंस लिया है

योग गुरु बाबा रामदेव की ओर से कोरोना के इलाज की दवा कोरोनिल लॉचिंग के मामले में दायर जनहित याचिका पर हाईकोर्ट ने असिस्टेंट सॉलिसिटर जनरल ऑफ इंडिया को नोटिस जारी किया है। ऐसे में दवा लेकर रामदेव ने मीडिया को संबोधित करते हुए कहा कि कोरोनिल के  क्लीनिकल  ट्रायल का डेटा हमने आयुष मंत्रालय क भेजा, आयुष मंत्रालय क सारे अप्रूवल लिए गए। हमने सभी पैरमीटर फॉलो किए। एफआईआर करो, देशद्रोही कह लो या आतंकी कह लो कोई फर्क नहीं पड़ता। उन्होंने कहा कि हिन्दुस्तान में योग के अंदर काम करना गुनाह है। मेरे खिलाफ एफआईआर दर्ज कराई गई। दवा बनाकर क्या मैंने कोई गुनाह कर दिया, सत्कार नहीं कर सकते तो तिरस्कार तो मत कीजिए। सिर्फ कोट टाई वाले रिसर्च करेंगे क्या, धोती वाले नहीं कर सकते।

रामदेव ने कहा कि अभी तो हमने एक कोरोना के बारे में क्लीनिकल कंट्रोल ट्रायल का डाटा देश के सामने रखा तो एक तूफान सा उठ गया। उन ड्रग माफिया, मल्टीनेशनल कंपनी माफिया, भारतीय और भारतीयता विरोधी ताकतों की जड़ें हिल गईं।

बाबा रामदेव बोले- जिस तरह से देशद्रोही के खिलाफ मुकदमा दर्ज होते है ऐसे मुकदमे दर्ज हुए ये मानसिकता हमे कहां लेकर जाएगी हम दोनों 35 वर्षो से साथ काम कर रहे है दोनों सामान्य परिवार से आये इसलिये लोगो को मिर्ची लगती है।  पिछले तीन दशकों में करोड़ो लोगो को निरोगी किया है योग सिखाया है। जब अब मंत्रलाय ने भी कहा कि क्लीनिकल ट्रायल किया गया तो लोग तीन दिन में ठीक हो गए, सब अप्रूवल भी हमने सम्मिट कर दिए अब जब सारे अप्रूवल लेकर अभी कोरोना के ऊपर ट्रायल हुआ है।

आयुर्वेद की हकीकत न तो दबने देंगे, न ही मिटने देंगे

रामदेव ने कहा कि मिनिस्ट्री ऑफ आयुष ने कहा कि कोविड मैनेजमेंट के लिए पतंजलि ने जो काम किया उसको हम दुरुस्त कह रहे हैं।  इस बात से कुछ लोग ज़रूर खुश हो रहे होंगे। बता दें कि इसमें हमने मैनेजमेंट लफ्ज़ का इस्तेमाल किया है, ट्रीटमेंट का नहीं। शब्दों के मायाजाल में हम आयुर्वेद की हकीकत न तो दबने देंगे, न ही मिटने देंगे।

कोरोना लंग मे घुरसा तो सबसे बड़ा खतरा

योग गुरू ने कहा कि इस पूरे ट्रायल में देखा गया कि मरीज को सबसे बड़ा खतरा तब होता है जब कोरोना वायरस हमारे लंग में घुसता है, अगर कीटाणु अंदर गया तो वह शरीर के अंदर जाकर अपने जैसे कई कीटाणु बनाता है। जब हमने ट्रायल किया, तो देखा कि ये बातें कंट्रोल हो रही हैं। जिनको 6 लेवल तक बीमारी बढ़ गई थी, वो लेवल एक-दो तक आ गए। हमने ट्रायल में क्या किया, उसका वैज्ञानिक डेटा है और जिसे मंत्रालय को दिया गया है।

बता दें कि इससे पहले पतंजलि आयुर्वेद लिमिटेड के मैनेजिंग डायरेक्टर आचार्य बालकृष्ण ने ट्वीट कर बताया है कि जो भी हमसे जानकारी मांगी गई थी, वह हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है। बालकृष्ण ने ट्वीट किया,  ‘यह सरकार आयुर्वेद को प्रोत्साहन व गौरव देने वाली है। जो कम्युनिकेशन गैप था, वह दूर हो गया है।  क्लीनिकल ट्रायल के जितने भी स्टैंडर्ड पैरामीटर्स हैं, उन सभी को 100 फीसदी पूरा किया है। इसकी सारी जानकारी हमने आयुष मंत्रालय को दे दी है।’

दरअसल कोरोनिल के लॉन्च होने के बाद हाईकोर्ट के अधिवक्ता मणि कुमार की ओर से दायर जनहित याचिका में कहा गया है कि पतंजलि योगपीठ की दिव्य फार्मेसी कंपनी ने वैश्विक महामारी कोरोना से निजात दिलाने के लिए कोरोनिल दवा बनाने का दावा किया है। रामदेव ने अपने सहयोगी आचार्य बालकृष्ण के साथ बीते मंगलवार को हरिद्वार में यह दवा लांच की। याचिकाकर्ता का कहना है कि रामदेव ने इस संबंध में नियमों का अनुपालन नहीं किया है।

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