जगमग हुई वैज्ञानिकों की कॉलोनी, 30 घरों में लगी 50 किलोवाट की हाइब्रिड मिनी ग्रिड

सीएसआईआर की दुर्गापुर स्थित प्रयोगशाला सेंटर फॉर मैकेनिकल इंजीनियरिंग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीएमईआरआई) ने अपनी एक कॉलोनी को हाइब्रिड ग्रिड से जगमग कर दिया है। सीएमईआरआई का एक कृषि यंत्र निर्माण केंद्र लुधियाना में भी है, जहां 30 घरों वाली एक आवासीय कॉलोनी भी है। यह कॉलोनी अब पूरी तरह से स्वच्छ ऊर्जा से जगमग हो चुकी है। कॉलोनी में बिजली की बाहरी आपूर्ति बंद कर दी गई है।

सीएमईआरआई के निदेशक डॉ. हरीश हिरानी ने बताया कि इस कॉलोनी में 50 किलोवाट की हाइब्रिड मिनी ग्रिड लगाई गई है। इसमें अभी सौर ऊर्जा एवं बायोडीजल से बिजली पैदा की जा रही है। विभिन्न क्षमता के छह सौर वृक्ष लगाए गए हैं। जबकि रोजाना एक टन क्षमता का बायोडीजल प्लांट लगाया गया है। बायोडीजल तैयार करने में जैविक कचरे, इस्तेमाल हो चुके तेल आदि जैविक कचरे का इस्तेमाल होता है। जल्दी ही बायोगैस और पवन ऊर्जा के के संयंत्र भी लगाए जाएंगे तथा उन्हें भी मिनी ग्रिड से जोड़ा जाएगा।

बाहर से बिजली आपूर्ति बंद:

डॉ. हिरानी ने बताया कि एक महीने पूर्व कॉलोनी में बाहरी बिजली आपूर्ति बंद कर दी गई है तथा सफलतापूर्वक मिनीग्रिड से काम चलाया जा रहा है। वहां बिजली की सभी जरूरतें पूरी हो रही हैं। 10 और पांच हार्स पावर के कई कृषि उपकरण भी कॉलोनी में इस्तेमाल हो रहे हैं, उनका भी संचालन इसी ग्रिड से हो रहा है।

ग्रिड की बिजली सस्ती:

पूरी ग्रिड पर 60-70 लाख रुपये खर्च हुए हैं। इसमें बैटरी बैकअप भी शामिल है। इससे कॉलोनी में बिजली की कटौती पूरी तरह से खत्म हो गई है। यह बिजली पूरी तरह से पर्यावरण के अनुकूल तो है ही सस्ती भी है। जबकि बिजली बोर्ड से जो बिजली उन्हें मिल रही थी उसकी लागत 12-14 रुपये प्रति यूनिट तक आ रही थी। अक्सर लाइट भी कटती थी, जिसके लिए अलग से जनरेटर का इंतजाम भी करना पड़ता था।

पवन और सौर ऊर्जा संयंत्र लगाएंगे:

डॉ. हिरानी ने कहा कि भविष्य में योजना यह है कि पवन ऊर्जा एवं बायोगैस के संयंत्र लगाकर और नए सौर वृक्ष लगाकर मिनी ग्रिड की क्षमता में इजाफा किया जाए और पूरे केंद्र जिसमें प्रयोगशाला और कार्यालय भी शामिल है, को भी बाहरी बिजली से मुक्त कर दिया जाए।

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