Ambedkar Jayanti 2020: भीमराव अम्बेडकर की ये 5 किताबें पढ़कर आपको मिलेगा नया नजरिया, जानें किन विषयों पर है आधारित

‘बुद्धि का विकास मानव के अस्तित्व का अंतिम लक्ष्य होना चाहिए.’
कुछ ऐसे ही विचारों के साथ युवाओं में जागरुकता और क्रांति का संचार करने वाले बाबा साहब भीमराव अम्बेडकर की आज जयंती हैl बाबा साहेब एक अर्थशास्त्री, राजनेता और समाज सुधारक थें, जिन्होंने दलित समुदाय के अधिकारों के लिए लड़ाई लड़ी, जिन्हें अछूत माना जाता थाl भारत के संविधान के एक प्रमुख निर्माता, अम्बेडकर ने महिलाओं के अधिकारों और मजदूरों के अधिकारों की भी वकालत की। अम्बेडकर ने अपने विचारों को कई किताबों में उतारा, वहीं उनके जीवन पर भी कई किताबें लिखी गईंlआज उनकी जयंती पर हम आपको अम्बेडर की ऐसी किताबें बता रहे हैं, जिससे न सिर्फ आपको उनके विचारोंंको  जानने में मदद मिलेगी बल्कि कई विषयों पर लिखी ये किताबेें पढ़कर आपको एक नया नजरिया भी मिलेगा- 


Annihilation of Caste-1936  (जाति का उन्मूलन 1936)
यह किताब मूल रूप से अम्बेडकर द्वारा 1936 में लिखा गया एक भाषण था। बाद में, इसे एक निबंध के रूप में विकसित किया गया था और उन्होंने इसे स्वयं प्रकाशित किया था। निबंध में, अम्बेडकर ने हिंदू धर्म, इसकी जाति व्यवस्था और इसके धार्मिक ग्रंथों की आलोचना की, जो पुरुष प्रधान हैं और महिला हितों से घृणा और दमन फैलाने वाले हैं। उन्होंने तर्क दिया कि अंतर-जातीय भोजन और अंतर-जातीय विवाह जाति व्यवस्था को खत्म करने के लिए पर्याप्त नहीं है, लेकिन यह कि ‘जाति व्यवस्था को तोड़ने का असली तरीका बन सकता है’

Who Were the Shudras? 1946 (शूद्र कौन थे? 1946)
इस किताब में शूद्र वर्ण की उत्पत्ति की चर्चा है। अम्बेडकर ने इस पुस्तक को भारतीय सामाजिक कार्यकर्ता और जाति सुधारक ज्योतिराव फुले को समर्पित किया है। अम्बेडकर हिंदू धार्मिक ग्रंथों जैसे कि ऋग्वेद, महाभारत और अन्य वैदिक धर्मग्रंथों का रिफेंस देते हुए जाति व्यवस्था की कई बातों को उल्लेखित किया है। उनके अनुसार शूद्र मूल रूप से आर्य थे और क्षत्रिय वर्ण का हिस्सा थे। अम्बेडकर ने इस किताब में आर्यन जाति के सिद्धांतों पर भी चर्चा भी की है।


The Buddha and His Dhamma-1957 (द बुद्धा एंड हिज़ धम्मा 1957)
यह किताब बुद्ध के जीवन और बौद्ध धर्म पर प्रकाश डालती हैl यह अम्बेडकर की अंतिम किताब थी। इस पुस्तक में उनके द्वारा उठाए गए बुद्ध से जुड़े विचार विमर्श, चार आर्य सत्य, आत्मा के सिद्धांत, कर्म और पुनर्जन्म, और अंतत भिक्षु बनने की कहानी है।


The Problem of the Rupee: Its Origin and Its Solution -1923 ( रुपए की समस्या: इसका मूल और इसका समाधान (1923)
यह किताब ब्रिटिश भारत में मुद्रा से जुड़ी सवालों और समस्याओं को उठाती है, जिनकी वजह से भारतीय रिजर्व बैंक का सृजन हुआ था। यह किताब 1923 से भारतीय मुद्रा और बैंकिंग के इतिहास के बारे में बताती है।

Caste in India-1917 (भारत में जातियां 1917)
असल में बीआर अम्बेडकर द्वारा न्यूयॉर्क में मानवशास्त्रीय संगोष्ठी में पढ़ा गया एक पेपर था, जिसमें अम्बेडकर ने एक सामाजिक घटना पर एक प्रस्तुति दी थी, जो ब्राह्मणों की रणनीति से निकली हुई मानी जाती हैl किताब का रूप देते हुए अम्बेडकर ने इसमें विवाह व्यवस्था और  इसका अनुकरण करने के वाले अन्य समूहों के बारे में लिखा गया है।

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