ब्रिटेन की स्वास्थ्य व्यवस्था पर पांच छह साल पहले जब साइबर हमला हुआ तो, दुनिया साइबर अपराधियों से थर्रा उठी थी. उस साइबर हमले ने ब्रिटेन की सी मजबूत स्वास्थ्य सेवाओं का किला चंद सेकेंड में कागज की मानिंद ढहा दिया था. तब ब्रिटेन सा ताकतवर देश साइबर अपराधियों का बाल भी बांका नहीं कर सका था. उसके बाद से तो दुनिया के अधिकांश देशों की तकनीक में मानो साइबर अपराधियों ने सेंध ही लगाने का वीणा उठा लिया हो।
अब पता चला है कि साइबर अपराधियों ने ऑस्ट्रेलिया से विकसित देश पर हमला बोला है. यहां घर बैठे लोगों के बैंक खाते खाली होने शुरु हो चुके हैं. यह सब साइबर अपराधियों द्वारा ही अंजाम दिया जा रहा है. ऑनलाईन साइबर ठगी के लिए मास्टरमाइंड क्रिमिनल, फेसबुक और अन्य सोशल मीडिया प्लेटफार्म्स का खुलकर इस्तेमाल कर रहे हैं. आंकड़ों के मुताबिक अकेले ऑस्ट्रेलिया में ही साइबर अपराधी महज, एक साल (12 महीने) के भीतर 2 लाख 60 हजार डॉलर की आर्थिक चपत लोगों को लगा चुके हैं।
रातों-रातों करोड़पति बनने की लालच
इसकी पुष्टि 7न्यूज वेबसाइट की एक खबर से भी होती है. दरअसल ऑनालाइन ठगी को मास्टरमाइंड साइबर अपराधी तो अंजाम दे ही रही है. वे तो कानून की नजर में मुजरिम हैं ही. इसके लिए ऑस्ट्रेलिया की जनता भी प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष रुप से काफी हद तक जिम्मेदार मानी-समझी जा रही है. जो देश की हुकूमत द्वारा ऐसे साइबर अपराधियों से बचने के उपायों की, जबरदस्त पब्लिकसिटी किए जाने के बाद भी, सरकारी चेतावनियों को नजरअंदाज कर दे रहे हैं. सिर्फ और सिर्फ इस लालच में कि उन्हें, ऑनलाइन घर बैठे-बैठे ही रातों-रातों करोड़पति बना दिया जाएगा।
यही वो सबसे बड़ा लालच है जो आमजन (ऑस्ट्रेलिया में रहने वालों को) के बैंक खातों से उनकी गाढ़ी कमाई लुटवा दे रहा है. जबकि आमजन का यही लालच ऑनलाइन ठगी के मास्टरमाइंड, साइबर अपराधियों की सफलता का मूलमंत्र साबित हो रहा है. ऑनलाईन ठगी के इस काले कारोबार में सबसे ज्यादा इस्तेमाल एक अनजान ईमेल पर आपसे क्लिक का करवाया जाना है।
आखिर ठग कैसे कर रहे आपको टार्गेट?
हालांकि, जबसे ऑस्ट्रेलिया में बीते साल (सन् 2022) में 12 महीने के भीतर ही इसी तरह से ऑनलाइन ठगी के जरिए, 2 लाख 60 हजार डॉलर की ठगी के मामले सामने आए, तभी से सरकार ने लोगों को फिर से आगाह करना शुरु कर दिया है. सरकार ने विज्ञापन देने शुरु किए हैं कि, अनजान लोगों के साथ ऑनलाइन किसी भी शॉपिंग, गिफ्ट संबंधी या फिर ऑनलाइन अपने घर के अनुपयोगी पुराने सामान को बेचने संबंधी बातचीत करने से बचें. क्योंकि यह साइबर अपराधी इनकी ठगी के फार्मूलों से अनजान लोगों को, अपने जाल में फांसने के लिए अब, तमाम सोशल मीडिया और ऑनलाइन पे-ट्रांजक्शन्स प्लेटफार्म्स का धड़ल्ले से बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं।
इन प्लेटफार्म्स में फेसबुक, PayID, मार्केटप्लस, गुमट्री और अन्य सोशल मीडिया साइट्स और माध्यम हैं. ऑनलाइन साइबर ठगी में जुटे गैंग्स इन्हीं तमाम प्लेटफार्म्स पर, अपनी फर्जी कंपनी के लुभावने विज्ञापन दे रहे हैं, जिनमें ऑनलाइन शॉपिंग, कीमती गिफ्ट के लालच संबंधी बातें बढ़ा-चढ़ाकर लिखी गई होती हैं. साथ ही यह ठग उन लोगों को भी निशाने पर ले रहे हैं जो ऑनलाइन अपने घर का सामान बेचने को उतावले रहते हैं. इस गैंग में शामिल ठग विशेषकर ऑनलाइन सामान खरीदने-बेचने की आड़ में घर बैठे-बैठे ही लोगों के बैंक खातों से रकम हड़प ले रहे हैं।
ठगी के इस काले-कारोबार को लिए इन ठगों को कोई ज्यादा मेहनत नहीं करनी होती है. बस जैसे ही आप इनके सोशल मीडिया अकाउंट्स पर मौजूद फर्जी विज्ञापन पर क्लिक भर करते हैं या फिर, आप द्वारा ऑनलाइन पुराने सामान को दिए गए विज्ञापन के जरिए आप इनके संपर्क में पहुंचते हैं. वैसे ही समझिए आपके बैंक खाते से आपकी गाढ़ी कमाई, इन साइबर ठगों की जेब में पहुंचने की प्रक्रिया बिना कुछ करे-धरे ही शुरु हो जाती है, और जो इनके शिकंजे में फंसता है उसे तब जाकर पता लगता है, जब उसका बैंक खाता खाली हो चुका होता है।
ऑनलाइन विज्ञापन पर भूल से भी न करें क्लिक
यह साइबर ठग किसी भी ऐसी कंपनी या इंसान से ऑनलाइन संपर्क साधते हैं, जिसने ऑनलाइन अपने सामान की बिक्री के लिए विज्ञापन दिया हो. यह ठग उस कंपनी या शख्स से उसका सामान खरीदने की एक फर्जी डील शुरु करते हैं. बस, उसी दौरान ऑनलाइन शापिंग या सेल करने वालों की, तमाम निजी जानकारियां इन साइबर ठगों के पास घर बैठे बैठे ही पहुंच जाती हैं. ठगों के पास जब जाल में फंसे शिकार के बैंक खाते की या अन्य निजी जानकारियों पहुंच जाती हैं तो, वे सामान खरीदने की बात उन्हें भुलाकर, इस काम में उलझा देते हैं कि, जाल में फंसे शिकार के हाथ बड़ी रकम लगने वाली है. वो एक ईमेल पर क्लिक करते ही रातों रात करोड़पति बन जाएगा. बस, जैसे वे (साइबर ठग) बताएं वैसे-वैसे उनके जाल में फंसा शिकार ऑनलाईन करता जाए. अचानक से मोटी रकम मिलने के फेर में जालसाजों के जाल में फंसे लोग, वैसा ही करना शुरु कर देते हैं जैसी ये ठग हिदायत देते जाते हैं।
कहने को ऑस्ट्रेलिआई बैंक बार-बार लोगों को आगाह करतें हैं, कि उनके यहां से कभी भी कोई ऑनलाइन डिटेल्स बैंक ग्राहक से नहीं मांगी जाती है. इसके बाद भी मगर ऑनलाइन साइबर अपराधियों के जाल में फंसे लोग, रातों रात धन्नासेठ बनने के चक्कर में घर बैठे-बैठे, अपने बैंक खाते खाली कराकर, एक साल में 2 लाख 60 हजार डॉलर की आर्थिक चपत खुद को लगवा चुके हैं. ठगी के इस काले बिजनेस में दरअसल साइबर अपराधी एक अदद उस आईडी का सबसे ज्यादा बेजा फायदा उठा रहे हैं, आजकल ऑस्ट्रेलिया में PayID के नाम से काफी प्रचलित हो चुकी है।
लाखों डॉलर ठगों ने उड़ाए
ऑस्ट्रेलिया निवासी अंबर ने इन साइबर ठगों के चक्कर में फंसकर अपने 500 डॉलर गंवा दिए. उन्होंने जैसे ही ऑनलाइन एक सेकेंडहैंड बिस्तर का विज्ञापन किया, वैसे ही साइबर ठगों ने उन्हें खरीददार बनाकर, अपने जाल में फंसा लिया. गंभीर तो यह है कि साइबर ठगों के हाथों 500 डॉलर की चपत झेले अंबर ने, ठगों के साथ ऑनलाइन ट्रांजक्शन से पहले कॉमनवेल्थ बैंक से संबंधित जांच की तो, वहां उन्हें सब कुछ सुरक्षित लगा. ऑस्ट्रेलिया में एक साल के भीतर साइबर अपराधियों द्वारा 2 लाख 60 हजार डॉलर की ठगी पुष्टि स्कैमवॉच की रिपोर्ट से भी होती है. इन 2 लाख 60 हजार डॉलर की ऑनलाइन ठगी के अधिकांश मामलों में PayID का ही दुरुपयोग सामने आया था।
एनएबी प्रवक्त के मुताबिक 53 फीसदी ऑस्ट्रेलियाई लोगों के पास करीब 15 सौ डॉलर का वो सामान है जो, उनके लिए अनुपयोगी है. जिसे वे ऑनलाइन बेचना चाहते हैं. ऐसे सामान को अधिकांश लोग अगर ऑनलाइन बेचना चाहते हैं तो, 25 फीसदी वे लोग भी हैं जो सोशल मीडिया पर होने वाली ऑनलाइन ठगी की घटनाओं के चलते, सोशल मीडिया के जरिए अपने अनुपयोगी सामान को बेचने से बचते भी हैं. ताकि कहीं वे अपना अनुपयोगी सामान बेचने की कोशिश में घर बैठे ही, किसी साइबर गैंग के फेर में न फंस जाएं. एनएबी ग्रुप के कार्यकारी क्रिस शीहान के मुताबिक, “बीते साल जो भी आनलाईन चींटिंग के मामले सामने आए उनमें से अधिकांश मामलों में PayID का ही बेजा इस्तेमाल किए जाने की बात सामने निकल कर आई है. यह ऑनलाइन साइबर अपराधियों की नजर में एक नया और उनके लिए बेहद सुगम-सरल तरीका शायद साबित हो रहा है।
ऑनलाइन खरीद-फरोख्त के जरिए ठग कर रहे टार्गेट
ऑनलाइन साइबर ठगी से बचाने के लिए शीहान ने कहा, “हमें (ऑस्ट्रेलिया) पुराने सोफे, कुर्सी, फर्नीचर से लेकर पुराने फोन, फ्रिज या प्रैम को ऑनलाइन बेचने की कोशिश ही नहीं करनी चाहिए. क्योंकि साइबर ठगों को यही वह सबसे आसान रास्ता पता चल चुका है. जिससे वे अनजान लोगों को जाल में आसानी से घेर लेते हैं. जैसे ही लोग इन अनजान साइबर ठगों के साथ ऑनलाइन लॉगइन होते हैं, घर बैठे बैठे ही साइबर ठग ठग लेते हैं. अगर साइबर ठगी का यही हाल रहा तो वो दिन दूर नहीं जब, हमें भी मार्केटप्लेस ने जैसे सेकेंड हैंड आइटम बेचने का विकल्प बदल दिया है…वैसे ही हमें भी PayID का भी कोई विकल्प चुनना होगा. क्योंकि स्कैमर्स अब ठगी के लिए सबसे ज्यादा PayID का इस्तेमाल कर रहे हैं. पेआईडी से जिस तरह से साइबर ठग परिचित हैं, उस तरह से अभी ऑस्ट्रेलिआई नागरिक इसका सदुपयोग करना नहीं जान सके हैं. यह एक नई तकनीक है. साइबर अपराधी जिसका खुलकर बेजा इस्तेमाल कर रहे हैं. पेआईडी पद्धति नई और त्वरित भुगतान के लिए भले ही आसान हो. मगर यह सुरक्षित कतई नहीं रही है।