पश्चिम बंगाल की राजधानी कोलकातामें एक दर्दनाक घटना घटी है. मृत 90 साल की मां के देह के पास तीन दिनों तक 64 साल के बेटी बैठी रही. वे घर में अकेले रहते थे. पहले मां की मौत की जानकारी किसी को नहीं हुई, लेकिन दुर्गंध फैलने के कारण पड़ोसियों को जानकारी मिली. यह घटना कोलकाता के बेलेघाटा में बदन राय लेन की की है.पड़ोसियों ने सोमवार को पुलिस को बदबू की सूचना दी. इसके बाद पुलिस ने जाकर शव बरामद किया. शव को पोस्टमार्टम के लिए भेज दिया गया है. मृतका का नाम नमिता घोष है।
नमिता घोषाल (90) बेलेघाटा के बदन राय लेन स्थित मकान में रहती थी. उसी घर में उनकी बेटी भी उनके साथ रहती थी. नमिता की बेटी विधवा है. वह 64 साल की है. मानसिक रूप से विक्षिप्त बेटी ने यह नहीं सोचा कि वह अपनी मृत मां के साथ क्या करे और इसलिए वह उस शरीर के पास बैठी रही।
घर से दुर्गंध आने पर पड़ोसियों ने पुलिस को दी सूचना
सोमवार को बदन राय लेन स्थित घर से दुर्गंध आने पर पड़ोसियों को शक हुआ. उन्होंने पुलिस को सूचना दी. मौके पर बेलेघाटा पुलिस पहुंची. वे घर में घुसे और वृद्धा का शव बरामद किया. पुलिस ने देखा कि बेटी भी मां के शव पर बैठी है. पुलिस इस बात की जांच कर रही है कि वह मानसिक रूप से स्वस्थ है या नहीं. पड़ोसियों ने बताया कि 90 वर्षीय महिला लंबे समय से बीमार थी. हो सकता है कि वृद्धावस्था के कारण उनकी मृत्यु हुई हो. हालांकि मौत के कारणों की पुष्टि पोस्टमार्टम के बाद ही हो सकेगी. शव को एनआरएस मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेज दिया गया है।
बेटी मानिसक रूप से थी बीमार, बैठी रही मां के मृत शरीर के पास
पुलिस का अनुमान है कि बुढ़िया की कुछ दिन पहले मृत्यु हो गई थी. हालांकि, वे इस संबंध में पोस्टमार्टम रिपोर्ट से पुष्टि हो पाएगी. साथ ही मृतक की पुत्री से भी पूछताछ की जा रही है. पुलिस ने जानना चाहा कि मां की मौत के बाद भी वह बिना किसी को बताए घर में शव के साथ क्यों रहा? लेकिन अभी तक कोई अच्छा जवाब नहीं मिला है. स्थानीय निवासियों ने बताया कि परिवार में मां-बेटी के अलावा कोई नहीं है. बुढ़िया के पति की दस्ताने की फैक्ट्री थी. कुछ साल उनकी मौत हो गई थी. परिवार आर्थिक संकट में था. वृद्ध महिला बीमारी से ग्रस्त थी. बच्ची भी मानसिक रूप से भी स्वस्थ नहीं थी. कभी-कभी उन्हें घर के बाहर देखा जाता था. कुछ दिन पहले युवती इलाके में मिल से पानी लेने आई थी. उसी समय वह नाली में गिर गई थी. पड़ोसी उसे घर पहुंचाए थे. उसके बाद से उन्हें बाहर किसी ने नहीं देखा था।