कांग्रेस राहुल गांधी की कन्याकुमारी से कश्मीर की भारत जोड़ो पदयात्रा को बड़ी सफलता मानकर इसे माइलस्टोन की तरह पेश कर रही है. भले ही इस यात्रा के समापन पर श्रीनगर में उसे बाकी विपक्षी दलों का उतना साथ न मिला हो, जिसकी वो आस लगाये थी, लेकिन ब्रांड राहुल के जरिए कांग्रेस की ताकत बुलंद करने की वो कोशिश में जुटी ह।
इसीलिए मोदी के सफल विदेशी दौरों की तर्ज पर राहुल का भी प्लान यूरोप तैयार किया जा रहा है. जिसकी शुरुआत मार्च महीने में कैम्ब्रिज यूनिवर्सिटी, लंदन से होगी. जहां राहुल एक एलुमिनाई बैठक में हिस्सा लेंगे और चीन- भारत के रिश्तों पर अपनी राय रखेंगे. अब चीन को लेकर राहुल विदेशी धरती पर राय रखेंगे, तो विवाद होना तो लाज़मी ही ह।
यूरोपियन यूनियन के दफ्तर भी जाने की तैयारी
इसके बाद राहुल का यूरोपियन यूनियन के दफ्तर वाले ब्रुसेल्स (बेल्जियम) जाने का कार्यक्रम है. वहां भी राहुल यूनियन के अहम लोगों से मुलाकात करेंगे और चर्चा करेंगे. साथ ही राहुल का नीदरलैंड जाने का भी प्रोग्राम तैयार हुआ है. वहां राहुल इंडियन डायासोपरा से मुखातिब होंगे. कांग्रेस का ओवरसीज विभाग राहुल के कार्यक्रमों को सफल बनाने के लिए रेकी करने जा चुका ह।
विभाग की कोशिश है कि, किसी जगह राहुल की प्रवासी भारतीयों के बीच एक रैली जैसा कार्यक्रम भी हो. लेकिन सवाल वही है कि, जब राहुल विदेश में हिन्दुतान पर अपनी राय रखेंगे तो निशाने पर पीएम मोदी और उनकी नीतियां होंगी. ऐसे में बीजेपी भी हमलावर होकर राहुल को निशाने पर ले रही ह।
9 सालों में ज्यादातर चुनावों में मिली हार
कुल मिलाकर कांग्रेस भारत जोड़ो यात्रा के ज़रिए ब्रांड राहुल को महात्मा गांधी की राह पर राहुल गांधी की थीम पर ले जाकर ब्रांड मोदी से सियासी दो-दो हाथ करने की तैयारी कर रही है, जिसमें पिछले 9 सालों में वो ज़्यादातर हारती ही आई है. लेकिन भारत जोड़ो यात्रा ने उसे एक नई उम्मीद और आस दी है, तो नए सिरे से 2024 की सियासी लड़ाई देखने के लिए आप भी कुर्सी की पेटियां बांध ।