हिंडनबर्ग रिपोर्ट के बाद बाजार से लेकर राजनीति तक हलचल पैदा हो गईं. कांग्रेस ने बजट सत्र के दौरान संसद में केंद्र सरकार पर कई सवाल किए. इस मामले में केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा है कि उनके लिए इस पर टिप्पणी करना उचित नहीं होगा क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले का संज्ञान लिया है. बीते दिनों हिंडनबर्ग की रिपोर्ट पर पूरे देश में सियासी बवाल छिड़ा था. संसद में राहुल गांधी ने केंद्र सरकार और पीएम मोदी पर खूब हमले किए थे।
एक इंटरव्यू के दौरान अमित शाह ने कहा कि अडानी मामला सुप्रीम कोर्ट में है. कोर्ट इसे देख रही है इसलिए एक मंत्री पद पर होते हुए मेरा कुछ बोलना ठीक नहीं है, लेकिन इसमें बीजेपी के लिए छिपाने या डरने जैसा कुछ भी नहीं है. हिंडनबर्ग-अडानी विवाद में कांग्रेस और अन्य विपक्षी दलों ने सरकार के खिलाफ पक्षपात और क्रोनी कैपिटलिज्म का आरोप लगाया है. संसद के बजट सत्र के दौरान संयुक्त संसदीय समिति की जांच की मांग करते हुए इस मुद्दे को उठाया।
सरकार सेबी के तहत समिति का गठन करने को तैयार
इस मामले में विपक्षी दलों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर भी निशाना साधा है. उन्होंने अडानी समूह में एलआईसी (LIC) और कुछ सार्वजनिक क्षेत्र (Public Sector) के बैंकों के निवेश पर जवाब मांगे हैं. केंद्र ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट को सूचित किया कि अडानी समूह पर हिंडनबर्ग की रिपोर्ट के बाद निवेशकों के हितों की रक्षा के लिए सेबी एक समिति गठित करने पर सहमत हो गया है।
सरकार को सुझाव देना चाहते हैं तो WELCOME
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने चीफ जस्टिस डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ को सूचित किया कि सेबी हिंडनबर्ग रिसर्च की हालिया रिपोर्ट के कारण उत्पन्न स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह से तैयार है. मेहता ने यह भी कहा कि भविष्य में निवेशकों की सुरक्षा कैसे सुनिश्चित की जाए, यह सुझाव देने के लिए समिति नियुक्त करने में सरकार को कोई आपत्ति नहीं है।