मयंक अग्रवाल ने दोहरा शतक जमाकर निकाली जीभ, टीम के लिए अकेले लड़ी लड़ाई

वन मैन आर्मी के बारे में तो आपने सुना ही होगा. ये वो होता है जो अकेले लड़ता है. सामने वाले विरोधी का डटकर सामना करता है और उसका मुंहतोड़ जवाब देता है. रणजी ट्रॉफी के सेमीफाइनल मुकाबले में सौराष्ट्र के खिलाफ मयंक अग्रवाल कर्नाटक के सिर्फ कप्तान नहीं बने दिखे, टीम के सबसे बड़े लड़ैया भी बने हुए नजर आए. नतीजा, उनके बल्ले से दोहरा शतक निकला और इसका जश्न उन्होंने खूब मनाया।

सौराष्ट्र के गेंदबाजों ने कर्नाटक की टीम को घेरने का प्लान तैयार कर लिया था. मानों एक चक्रव्यूह सा रचा था, जिसमें वो सफल भी होते दिख रहे थे. लेकिन, वो कहते हैं ना हर मर्ज का एक इलाज होता है और सौराष्ट्र के गेंदबाज जो कर रहे थे, उसका जवाब बनकर सामने आए कर्नाटक के कप्तान मयंक अग्रवाल।

सौराष्ट्र के खिलाफ अकले लड़े मयंक

सेमीफाइनल मैच में कर्नाटक की टीम पहले बल्लेबाजी पर उतरी. लेकिन उसकी शुरुआत खराब रही. टीम ने 100 रन के आंकड़े को पार ही किया था कि उसकी आधी टीम पवेलियन में थी. मतलब 300 रन बनना मुश्किल दिख रहा था. ऐसे में मयंक अग्रवाल ने दहाड़ लगाई और अकेले लोहा लेते हुए ठोक दिया दोहरा शतक।

दोहरा शतक जमाकर मयंक ने निकाली जीभ

मयंक अग्रवाल ने सौराष्ट्र के खिलाफ सेमीफाइनल मैच की पहली पारी में 249 रन बनाए. ये रन बनाने के लिए 429 गेंदों का सामना किया. मयंक की इस इनिंग में 26 चौके और 6 छक्के शामिल रहे. इस इनिंग के दौरान मयंक ने अपना दोहरा शतक 367 गेंदों पर ही पूरा कर लिया था. दोहरा शतक लगाने के बाद उनका मनाया जश्न भी चर्चा में रहा. मयंक ने दोहरे शतक का जश्न जीभ बाहर निकालकर मनाया।

दोहरे शतक का कर्नाटक को हुआ फायदा

मयंक की इस पारी का अब असर भी जान लीजिए. उनके दोहरे शतक की बदौलत कर्नाटक ने पहली पारी में 407 रन बनाए. मतलब जो टीम 250 रन तक पहुंचती नहीं दिख रही थी, उसने 400 का आंकड़ा पार कर लिया. और इस तरह से सौराष्ट्र के लिए आसान से लग रहे मैच को अब कांटे का भी बना दिया है. क्योंकि 407 रन बहुत होते हैं।

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