पति की बीमारी से तंग महिला ने 3 बच्चों संग खाया जहर
दिल्ली से सटे गाजियाबाद के लोनी में कथित तौर पर पति की टीबी की बीमारी से परेशान महिला ने अपने तीन बच्चों के साथ जहरीला पदार्थ खा लिया। उसकी दो बेटियों को इलाज के लिए दिल्ली के जीटीबी अस्पताल में भर्ती कराया गया था, जबकि महिला और उसके तीन वर्षीय बेटे की घर में ही मौत हो गई। दोनों बेटियां अभी भी जिंदगी और मौत से जूझ रहीं हैं।
ट्रॉनिका सिटी थाने के ईलायचीपुर की अमन गार्डन कॉलोनी में मोनू अपनी पत्नी मोनिका (30), बेटी मनाली (11), साक्षी (6) और बेटे अंश (3) के साथ रहता है। मोनू लोनी की इंद्रापुरी कॉलोनी में मोबाइल रिपेयरिंग का काम करता है। करीब ढाई माह पूर्व मोनू को टीबी की बीमारी हो गई थी, जिसे लेकर वह और उसकी पत्नी अक्सर परेशान रहते थे तथा आर्थिक तंगी भी झेल रहे थे। करीब छह माह पूर्व मोनू के पिता रामसिंह की भी टीबी से ही मौत हो गई थी और जेठ श्याम भी टीबी से मौत का शिकार हो चुके हैं।
बताया जा रहा है मोनिका अपने पति की टीबी की बीमारी को लेकर मानसिक रूप से तनावग्रस्त थी और ससुर व जेठ की मौत के बाद वह पति की भी मौत की आशंका को लेकर भयभीत रहती थी। पति के इलाज व घर में बीमार सास और तीन बच्चों के पालन पोषण का खर्च मोनिका उठा नहीं पा रही थी तथा भारी मानसिक तनाव में थी।
बताया जा रहा है कि इसी परेशानी के चलते मोनिका ने शनिवार दोपहर करीब 2.30 बजे अपने तीनों बच्चों को जहरीला पदार्थ खिलाकर खुद भी जहर खा लिया। करीब डेढ़ घंटे बाद उसकी बेटी मनाली व साक्षी की हालत बिगड़ने लगी, जिस पर उसका जेठ सुंदर दोनों बच्चियों को इलाज के लिए जीटीबी अस्पताल ले गया, लेकिन मोनिका ने जेठ को जहर खाने व बच्चों को खिलाने की बात नहीं बताई। मोनू भी बीमार बेटियों को देखने अस्पताल चला गया। उधर, कुछ समय बीतने के बाद मोनिका व उसके बेटे अंश की हालत बिगड़ने लगी और दोनों मां-बेटे की घर में ही मौत हो गई।
बीमार वृद्ध सास ना ही कुछ ठीक से बोल पाती है और ना ही उसे कुछ समझ आया। रात में करीब 8.41 बजे एक पड़ोसी ने घर में मृत पड़े मां-बेटे को देख 112 नंबर पर कॉल कर पुलिस को घटना की सूचना दी। मां-बेटे की मौत की सूचना पर सीओ रजनीश उपाध्याय व ट्रॉनिका सिटी थाना प्रभारी अरविंद पाठक मौके पर पहुंंचे और फोरेंसिक टीम को भी बुला लिया।
सीओ ने बताया कि मां-बेटे के शव पोस्टमॉर्टम के लिए भेज दिए गए हैं। मौके से कोई ऐसी चीज नहीं मिली है जिससे पता चल सके कि जहर कैसे खाया है। बच्चियों के अस्पताल में होश में आने के बाद उनके बयान दर्ज किए जाएंगे, जबकि मामले की गहनता से जांच की जा रही है।