कोरोना के असर के चलते संसद के दोनों सदनों से वित्त विधेयक के पारित होने के बाद सोमवार को बजट सत्र का समापन हो जाने की संभावना है। वहीं समाजवादी पार्टी, टीएमसी और अब शिवसेना ने भी संसद सत्र में शामिल न होने का घोषणा की है। आपको बता दें कि पहले इस सत्र का तीन अप्रैल को समापन होना था लेकिन अब ऐसी संभावना है कि 23 मार्च को ही अनिश्चितकाल के लिए समाप्त हो जाए।
कोविड-19 से उत्पन्न खतरे के मद्देनजर इस सत्र के निर्धारित समय से 12 दिन पहले ही समाप्त होने की संभावना है। तृणमूल कांग्रेस समेत कई राजनीतिक दलों ने कई राज्यों द्वारा कोरोना वायरस को लेकर भिन्न-भिन्न अवधि के लिए बंदी की घोषणा किये जाने के कारण सोमवार को सत्र में हिस्सा नहीं लेने का निर्णय लिया है।
शिवसेना के सासंद सोमवार से संसद के सत्र में हिस्सा नहीं लेंगे
महाराष्ट्र के शिवसेना नेता संजय राउत ने घोषणा की कि उनकी पार्टी के सांसद कोरोना वायरस महामारी के मद्देनजर सोमवार से संसद के बजट सत्र में नहीं जायेंगे। संसद में शिवसेना के मुख्य सचेतक राउत ने ट्वीट किया, ” कोविड-19 की स्थिति को ध्यान में रखकर शिवेसना के सासंद सोमवार से संसद की कार्यवाही में हिस्सा नहीं लेंगे। यह निर्णय हमारे पार्टी प्रमुख एवं (महाराष्ट्र के) मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने सरकार को इस महामारी में मदद पहुंचाने के लिए लिया है।
एनसीपी पहले ही घोषित कर चुकी है कि उसके ज्यादातर लोकसभा एवं राज्यसभा सदस्य अपने अपने निर्वाचन क्षेत्रों में प्रशासन को कोविड-19 का मुकाबला करने में सहयोग करने के लिए वहीं बने रहेंगे।
तृणमूल ने अपने सांसदों से संसद से वापस आने को कहा
तृणमूल कांग्रेस ने रविवार को घोषणा की कि उसने कोरोना वायरस के खतरे के मद्देनजर अपने सभी सांसदों को संसद से लौटकर अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वापस आने का निर्देश दिया है। तृणमूल के सांसद एवं राज्यसभा में पार्टी के नेता डेरेक ओब्रायन और लोकसभा सांसद एवं लोकसभा में पार्टी के नेता सुदीप बंदोपाध्याय ने दोनों सदनों के पीठासीन अधिकारियों को पत्र लिखकर अनुरोध किया है कि सदन की कार्यवाही 23 मार्च (सोमवार) को पूरी कर दी जाए। तृणमूल के लोकसभा में 22 और राज्यसभा में 13 सदस्य हैं।
उसने कहा कि तृणमूल पिछले 10 दिन से संसद को स्थगित करने की सरकार से अपील कर रही है लेकिन अभी तक कोई कदम नहीं उठाया गया। पत्र में कहा गया है कि प्रधानमंत्री ने स्वयं सामाजिक दूरी बनाए रखने की तत्काल आवश्यकता, बड़े समूहों में एकत्र नहीं होने और 65 साल एवं अधिक आयु के लोगों के बहुत एहतियान बरतने की जरूरत की बात की है। उसमें कहा गया है, ”राज्यसभा में करीब 44 प्रतिशत सांसद और लोकसभा में 22 प्रतिशत सांसद 65 साल से अधिक आयु के हैं। यह केवल सांसदों का ही सवाल नहीं है बल्कि हर रोज संसद परिसर में आने वाले हजारों लोगों का सवाल है। यह विरोधाभासी संदेश बहुत खतरनाक है।
पत्र में कहा गया है कि दोनों सदनों में करीब 110 घंटे की चर्चा में समय का महज तीन प्रतिशत हिस्सा ऐसा था जब कोरोना वायरस वैश्विक महामारी पर चर्चा की गई। उसमें कहा गया है कि उनका कहना है कि सरकार संसद चलते रखना चाहती है ताकि सांसद देश को भरोसा दिलाएं और मिसाल पेश करें। यह बेहद गैर जिम्मेदाराना नजरिया हैं। हमें ऐसी मिसाल कायम नहीं करनी चाहिए। पत्र में लिखा है कि अखिल भारतीय तृणमूल कांग्रेस ने अपने सभी सांसदों को अपने निर्वाचन क्षेत्रों में वापस जाने की सलाह दी हैं।
पत्र में कहा गया है कि पार्टी इस बात को समझती है कि एक अप्रैल 2020 को वित्त वर्ष शुरू होने से पहले वित्त विधेयक पारित करना जरूरी है लेकिन किसी को अपना स्वास्थ्य खतरे में नहीं डालना चाहिए।