त्रिपुराः राहुल गांधी शानदार इंसान, भारत जोड़ो यात्रा से सुधरी उनकी छवि- प्रद्योत देबबर्मा

त्रिपुरा शाही वंशज प्रद्योत किशोर देबबर्मा की पार्टी टिपरा मोथा राज्य विधानसभा चुनाव में दूसरी सबसे बड़ी पार्टी बनकर सामने आई है. दो साल पहले ही पार्टी की स्थापना की गई थी और इस टिपरा मोथा ने ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग उठाई, जिसके बाद से इसकी खासी चर्चा रही है. यह मांग चुनाव में बड़ा मुद्दा रही है, जिसके दम पर देबबर्मा को 13 सीटें जीतने में सफलता मिली है. पार्टी ने अनुसूचित जनजाति के लिए रिजर्व सीटें जीतीं, लेकिन सामान्य श्रेणी की सीट पर जीत दर्ज नहीं कर सकी।

बीजेपी ने टिपरा मोथा की तरफ हाथ बढ़ाया है और ‘ग्रेटर टिपरालैंड’ की मांग को छोड़कर अन्य सभी मांगों को मानने का ऐलान किया है. इस बीच प्रद्योत किशोर देबबर्मा ने इंडियन एक्सप्रेस से बातचीत की है. राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के असर को लेकर किए गए सवाल पर देबबर्मा ने कहा, ‘मैंने राहुल से बात की, वह शानदार इंसान हैं. उन्हें इस कदर ट्रोल किया गया है कि ये उनका अपना निजी सफर था. मुझे लगता है कि वह उस दौर में चले गए हैं जहां उन्हें सभी ट्रोल्स और उसके खिलाफ नफरत से कोई फर्क नहीं पड़ता. जिसने उन्हें दुनिया भर में बेहतर बनाया है, इससे देश भर में उनकी छवि में सुधार हुआ है, लेकिन कांग्रेस को खुद को पुनर्जीवित करने के लिए पार्टी के पास अपने खुद के स्ट्रक्चर को दोबारा खड़ा करने की योजना होनी चाहिए।

त्रिपुरा के आदिवासी 85 फीसदी हिंदू- देबबर्मा

जीत का जश्न मनाते हुए पीएम ने कहा था कि नगालैंड, मेघालय और त्रिपुरा के नतीजे साबित करते हैं कि बीजेपी ईसाई या आदिवासी विरोधी नहीं है. इसको लेकर देबबर्मा ने कहा, ‘इन सबको आदिवासी, ईसाई और हिंदू में नहीं जोड़ सकते. इसके कई पहलू हैं. त्रिपुरा के आदिवासी 85 फीसदी हिंदू हैं और उन्होंने हमें वोट दिया न कि बीजेपी को. हमें 75 फीसदी से ज्यादा वोट मिले हैं. नागालैंड में ईसाई आदिवासियों ने अच्छी संख्या में BJP को वोट दिया है. मेघालय में प्रेस्बिटेरियन और कैथोलिक ने बीजेपी को दो सीटें दी हैं. नागाओं में विकास की भावना है क्योंकि वे खुद शासन करते हैं. केंद्र का पैसा पीएम मोदी ने सीएम रियो के जरिए भेजा है या नहीं, फिर भी ऐसा लगेगा कि रियो ने पैसा भेजा है।

हम धर्म या जाति के नाम पर भेदभाव नहीं करते- देबबर्मा

बीजेपी से हाथ मिलाने के सवाल पर देबबर्मा ने कहा, ‘मेरे लिए ऐसे व्यक्तियों के साथ काम करना बहुत मुश्किल है, जिनके पास बहुत सीमित दृष्टिकोण है और जो धर्म, जाति और समुदाय के आधार पर लोगों के साथ न्याय करते हैं. मैं यह भी महसूस करता हूं कि आपको व्यावहारिक होना होगा और आपको यह सुनिश्चित करना होगा कि लोगों की आवश्यकताएं पूरी हों. मैं शायद बीजू पटनायक जैसे किसी व्यक्ति के समान ही रहूंगा, जो रातों-रात भक्त बन जाता है और 14 फरवरी को वर्ल्ड (गाय) हग डे करना शुरू कर देता है. त्रिपुरा में हम देवी काली, चंडीमा और माता त्रिपुर सुंदरी की पूजा करते हुए बड़े हुए हैं. अचानक, हम ‘गणपति बप्पा, मोरया’ की एक नई संस्कृति देखते हैं. अच्छे हिंदुओं के रूप में भी हमारी स्थानीय संस्कृति को बनाए रखना बहुत महत्वपूर्ण है. जब भी त्रिपुरा की पहचान को खतरा होगा, बंगाली, आदिवासी, मुस्लिम, ईसाई और बौद्ध हमेशा पुराने त्रिपुरा के विचार के लिए खड़े होंगे, जहां हम धर्म या जाति के नाम पर भेदभाव नहीं करते हैं।

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