दिल्ली में कोरोना वायरस के एक संदिग्ध मामले में आठ साल की बच्ची को मल्टीसिस्टम इन्फ्लैमेटरी सिंड्रोम (एमआईएससी) होने का पता चला है। यह बीमारी कोविड-19 के संक्रमण के बाद होती है। अस्पताल के अधिकारियों ने गुरुवार को यह जानकारी दी। आम तौर पर यह बीमारी संक्रमण होने के तीन से छह हफ्तों बाद पैदा हो सकती है।
डॉक्टरों ने बताया कि मौत होने से रोकने के लिए एमआईएस-सी (MIS-C) का शुरुआती स्तर पर पता लगना महत्वपूर्ण है। यह शरीर में सूजन की प्रतिक्रिया के तौर पर प्रतिरक्षा तंत्र संबंधी बीमारी है जो आमतौर पर बच्चों में पाई जाती है। इसका अनियंत्रित होना घातक हो सकता है।
अस्पताल ने एक बयान में कहा कि बच्ची को जून की शुरुआत में यहां अपोलो अस्पताल लाया गया। ब्लड प्रेशर, कम ऑक्सीजन लेवल और नब्ज धीमी होने के कारण बच्ची की हालत गंभीर थी। वह कोविड-19 से संक्रमित नहीं पाई गई, लेकिन उसमें कोविड एंटीबॉडीज का उच्च स्तर पाया गया जिससे यह एमआईएस-सी का मामला बन गया।
अस्पताल के एक प्रवक्ता ने कहा कि ऐसा संदेह है कि वह बिना लक्षण वाली, कोरोना वायरस की मरीज रही हो। पीडियाट्रिक आईसीयू (Pediatric Intensive Care) में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. नमीत जेराथ ने कहा कि बच्ची को वेंटीलेटर की बहुत ज्यादा आवश्यकता थी और ऑक्सीजन लेवल भी कम हो रहा था तो हमने फौरन उसे ईसीएमओ पर रखने का फैसला किया। उसकी हालत में धीरे-धीरे सुधार आया और एक हफ्ते बाद ही उसे ईसीएमओ से हटा दिया गया।
उन्होंने बताया कि कोरोना के बाद होने वाली बीमारी एमआईएस-सी बिना लक्षण या लक्षण के साथ होने वाले संक्रमण के तीन से छह हफ्तों बाद पैदा हो सकती है तथा मौत होने से रोकने के लिए शुरुआती स्तर पर इसका पता लगाना महत्वपूर्ण है।
पीडियाट्रिक कार्डियोलॉजी में सीनियर कंसल्टेंट डॉ. मुथु ज्योति ने कहा कि यह बीमारी उन बच्चों में हो सकती हैं जिनमें कोविड-19 के गंभीर लक्षण न रहे हों। बयान में कहा गया है कि एक हफ्ते तक अत्यधिक बुखार, पेट में दर्द, उल्टी और लगातार सिर में दर्द की शिकायत के बाद लड़की को एक स्थानीय अस्पताल में भर्ती कराया गया जहां उसकी हालत बिगड़ गई। इसके बाद उसे यहां इंद्रप्रस्थ अपोलो हॉस्पिटल्स के चाइल्ड स्पेशियलिस्ट के पास भेजा गया।