नोएडा में दस्तावेजों में हेराफेरी कर बनाई गई फर्जी फर्मों को पकड़ने की कार्रवाई जारी है। राज्य जीएसटी विभाग ने बीते करीब चार महीने में सौ से अधिक ऐसी कंपनियां पकड़ी हैं, जिनके पते जांच में फर्जी निकले हैं। विभाग के मुताबिक, लोग फर्जी पता तैयार कर जीएसटी नंबर ले लेते हैं। मौके पर अधिकारियों के पहुंचने पर फैक्ट्री या कारोबारी गतिविधि नहीं मिलती है और उनका जीएसटी रजिस्ट्रेशन रद्द कर दिया जाता है।
राज्य जीएसटी विभाग की ओर से जीएसटी रजिस्ट्रेशन धारकों का सत्यापन किया जा रहा है। विभाग से मिली जानकारी के मुताबिक, अप्रैल और मई में कोरोना महामारी के कारण सत्यापन अभियान नहीं चला था। इससे पहले अभियान जारी था। जीएसटी नंबर प्राप्त करने की प्रक्रिया में कारोबारी विभाग के पोर्टल पर दस्तावेज और मोबाइल नंबर अपलोड करते हैं। पोर्टल पर कारोबारी द्वारा दिए गए पते पर जाकर सत्यापन किया जाता है तो वह गलत भी मिलता है। वहां पर कोई व्यापारिक गतिविधि होती ही नहीं है, जिस व्यक्ति के पते पर फर्म के लिए जीएसटी नंबर लिया होता है, उसे इसकी भनक तक नहीं होती है।
फर्जीवाड़ा करने वाले फोटोशॉप कर बिजली का बिल, किरायानामा और आदि तैयार कर लेते हैं और उसे पोर्टल पर अपलोड कर देते हैं। कई बार दो से तीन या अधिक फर्मों के लिए एक ही मोबाइल नंबर दर्ज कर देते हैं। इतना ही नहीं, रेहड़ी-पटरी लगाने वाले लोगों के दस्तावेजों का इस्तेमाल पकड़ में आता है।
जीएसटी नंबर निरस्त करने की प्रक्रिया की जाती है
गौतमबुद्ध नगर राज्य वाणिज्यकर विभाग के एडिशनल कमिश्नर सी.बी. सिंह ने कहा कि पोर्टल पर दर्ज पते के आधार पर मौके पर जाकर जांच करने पर व्यापारिक गतिविधि या फैक्ट्री न मिलने पर नोटिस जारी किया जाता है। इसके बावजूद सही पता पोर्टल पर अपलोड न करने पर जीएसटी नंबर निरस्त करने की प्रक्रिया की जाती है।
नहीं थी कोई कंपनी, चल रहा था पीजी
– सेक्टर-62 के बी ब्लॉक स्थित एक बिल्डंग में पीजी चल रहा था, जबकि फर्जीवाड़ा करने वाले लोगों ने फर्जी किरायानामा तैयार करके दो फर्मों के नाम पर जीएसटी पंजीकरण ले रखा था। वहां पर कोई व्यापारिक गतिविधि नहीं थी। मकान मालिक को इसकी जानकारी तक नहीं थी। वाणिज्य कर विभाग के अनुसार, फोन नंबर प्राप्त करने पर उन्होंने बताया कि किरायेनामे पर यदि उनके हस्ताक्षर हैं तो वे फर्जी हैं।
– सेक्टर-62 के नवादा गांव में एक पते पर कंपनी पंजीकृत कराई गई थी। वहां पर जाने पर पता लगा, कोई कंपनी नहीं थी। विभाग के अधिकारी ने बताया कि बिजली के बिल में फर्जीवाड़ा करके फर्म पंजीकृत कराई गई थी। सही बिजली का बिल राहुल कुमार मिश्रा के नाम पर था, जबकि उसमें फर्जीवाड़ा करके नाम बदलकर विभूति नारायण कर दिया गया था।