2012 निर्भया गैंगरेप मामले में दोषी पवन को दिल्ली की अदालत से फांसी की सजा को लटकाने की कोशिश को झटका लगा है। दोषी पवन गुप्ताकी याचिका पर दिल्ली की एक अदालत ने मंडोली जेल से 8 अप्रैल तक एक्शन टेकन रिपोर्ट मांगी है। दोषी पवन गुप्ता ने याचिका के जरिए बताया था कि मंडोली जेल के 2 पुलिसकर्मियों ने उसकी कथित तौर पर पिटाई की है और उसके सिर में गंभीर चोट आई है। पवन ने कोर्ट से मांग की थी कि इस मामले में एफआईआर दर्ज की जाए।
मेट्रोपॉलिटन मैजिस्ट्रेट प्रियांका नायक ने दोषी पवन की याचिका पर सुनवाई करते हुए स्पष्ट किया कि आदेश का दूसरे मामले पर कोई असर नहीं पड़ेगा और इस आवेदन के कारण फांसी प्रभावित नहीं होगी।
पवन कुमार गुप्ता के वकील ए पी सिंह ने कड़कड़डूमा कोर्ट में याचिका दाखिल कर कहा था कि दो पुलिस कान्स्टेबल के खिलाफ एफआईआर दर्ज की जाए। शिकायत में हर्षविहार पुलिस थाने के एसएचओ को निर्देश देने का अनुरोध किया गया है कि वह कान्स्टेबल अनिल कुमार और एक अन्य अज्ञात कान्स्टेबल के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करें। शिकायत में कहा गया था कि चूंकि पवन को जल्द फांसी दी जानी है, यह जरूरी है कि उसे दोनों पुलिसकर्मियों की पहचान के लिए एक गवाह के तौर पर पेश होने की इजाजत दी जाए। आपराधिक शिकायत में आरोप लगाया गया है कि पवन को दोनों कान्स्टेबल ने 26 जुलाई और 29 जुलाई, 2019 को बुरी तरह से पीटा था, जब वह पूर्वी दिल्ली के मंडोली केंद्रीय जेल में बंद था।
इसमें कहा गया है कि सिर में कथित चोट के लिए उसका इलाज शाहदरा में गुरु तेग बहादुर सरकारी अस्पताल में कराया गया और उसे 14 टांके लगे। इसमें दोनों पुलिसकर्मियों के खिलाफ शारीरिक हमले से संबंधित दंडात्मक प्रावधानों के तहत प्राथमिकी दर्ज करने का अनुरोध किया गया है। इससे पहले गत पांच मार्च को अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा की अदालत ने पवन कुमार गुप्ता सहित चार दोषियों को 20 मार्च को सुबह साढ़े पांच बजे फांसी देने के लिए ताजा मृत्यु वारंट जारी किये थे।
इन चार दोषियों में मुकेश कुमार सिंह (32), पवन गुप्ता (25), विनय शर्मा (26) और अक्षय कुमार सिंह (31) शामिल हैं। 23 वर्षीय फिजियोथेरेपी इंटर्न से 16 दिसम्बर 2012 को दक्षिणी दिल्ली में चलती बस में सामूहिक बलात्कार और हमला किया गया था। घटना के लगभग 15 दिन बाद उसकी मौत हो गई थी।