म्युचुअल फंड या फिर फिक्सड डिपाॅजिट, जानें आपके लिए क्या रहेगा बेहतर इनवेस्टमेंट

लाॅन्ग टर्म इनवेस्टमेंट करने वाले लोग हमेशा इस बात को लेकर कंफ्यूज रहते हैं कि उन्हें म्युचुअल फंड में इनवेस्टमेंट करना चाहिए या फिर फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम्स में। ऐसा इसलिए है क्योंकि दोनों इनवेस्टमेंट के जहां अपने फायदे हैं तो वहीं नुकसान भी है। फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम में जब हम पैसा लगाते हैं तब उस पैसे को उपयोग लोन देने के लिए किया जाता है वहीं म्युचुअल फंड का पैसा शेयर मार्केट में उपयोग होता है। इसलिए वहां रिस्क भी अधिक रहता है, लेकिन एफडी एक रिस्क फ्री इनवेस्टमेंट होता है।

फिक्सड डिपाॅजिट स्कीम और म्युचुअल फंड के फायदे और नुकसान 

बैंक एफडी के पैसे को अलग-अलग लोगों को लोन देती है। फिर उनसे कमाया गया ब्याज ग्राहकों को लौटती है। बैंक के पास बड़ी संख्या में कस्टमर होते हैं ऐसे में वहां रिस्क कम हो जाता है। साथ ही हर एक एफडी पर इंश्योरेंस भी फ्री मिलता है। वहीं, म्युचुअल फंड का पैसा 25-100 कंपनियों के शेयरों में इनवेस्ट होता है, जिसके कारण यहां खतरा ज्यादा होता है। दोनों इंवेस्टमेंट में सबसे बड़ा अंतर यह है कि एफडी में रिटर्न की गारंटी रहती है तो वहीं म्युचुअल फंड में ऐसा नहीं होता है।

 

म्युचुअल फंड 

जब भी कोई म्युचुअल फंड में पैसा इंवेस्ट करता है तो कंपनियां उन पैसों को शेयर मार्केट में लगाती हैं। अलग-अलग कंपनियों के शेयरों में पैसा इनवेस्ट करने की वजह से रिस्क इतना भी नहीं रहता है जितना दिखाई देता है। क्योंकि कंपनियां जब पैसा शेयर मार्केट में लगाती हैं तो वह भी सबकुछ चेक जरूर करती हैं। लेकिन यह एक रिस्क ओरिएंटेड इनवेस्टमेंट है।

कहां मिलेगा ज्यादा रिटर्न 

अब सवाल कि ज्यादा रिटर्न कहां मिलता है। मान लीजिए आपने एफडी में एक लाख रुपये इनवेस्ट किया है तो आपको मौजूदा दर की हिसाब से 10 साल बाद 1.79 लाख रुपये मिलेंगे। वहीं, अगर आप इतना ही पैसा म्युचुअल फंड में लगाते हैं तो आपको 3.40 लाख रुपये मिलेंगे अगर हम पिछले 5 साल का रिटर्न के हिसाब से देखें तब यह ज्यादा और कम हो सकता है। कोई अगर रिस्क उठाना पसंद करता है तो उसके लिए म्युचुअल फंड एक बेस्ट इनवेस्टमेंट विकल्प हो सकता है। वहीं, रिस्क ना पसंद करने वाले इंवेस्टर के लिए एफडी ही बेहतर विकल्प रहेगा।

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