दिल्ली पुलिस की साइबर सेल ने एक फर्जी जॉब रैकेट का भंडाफोड़ कर ऐसे पांच लोगों को गिरफ्तार किया है जो फर्जी वेबसाइट के जरिये सरकारी नौकरी दिलाने के बहाने लोगों को ठगता था। यह गिरोह अब तक करीब 27 हजार लोगों को ठगी का शिकार बना चुका है।
पुलिस ने बताया कि आरोपियों के पास से तीन लैपटॉप और सात फोन बरामद किए गए हैं। इसके साथ ही 49 लाख रुपये के साथ एक बैंक खाते को भी सीज किया गया है। अनुमान है कि आरोपियों ने इस साल 1 अक्टूबर तक करीब 27,000 से अधिक लोगों से 1.09 करोड़ रुपये से अधिक की ठगी की थी।
नौकरी के इच्छुक व्यक्ति की ओर से साइबर सेल को इस बारे में शिकायतें मिलने के बाद यह घोटाला सामने आया था। ठगों ने इन लोगों को स्वास्थ्य और परिवार कल्याण मंत्रालय के “स्वास्थ्य एवं जन कल्याण संस्थान” के नाम से बनाई गई एक फर्जी वेबसाइट के जरिए सरकारी नौकरी दिलाने का झांसा दिया था, जिस पर उन्होंने आवेदन किया था। पुलिस ने कहा कि ठगी के शिकार हुए इन लोगों ने यह सोचकर विभिन्न नौकरी के लिए ऑनलाइन फीस का भुगतान किया था कि सरकारी नौकरी की पेशकश करने वाली यह एक असली वेबसाइट है।
शिकायत मिलने पर प्राथमिक जांच के बाद धोखाधड़ी और जालसाजी का मामला दर्ज किया गया और जांच की गई। साइबर सेल ने कहा कि तकनीकी जांच के आधार पर हरियाणा के हिसार में बैठे फर्जी वेबसाइट का संचालन करने वाले मास्टरमाइंड की पहचान की गई।
जांच के दौरान, यह भी पता चला कि वेबसाइट ने हजारों भोला-भाले नौकरीपेशा लोगों को ठगा था और गिरोह के सदस्य हिसार में एटीएम से पैसे निकाल रहे थे। आरोपियों ने अब तक 15 लाख से अधिक एसएमएस भेजे हैं, जिसके कारण 27,000 से अधिक लोग इस फर्जीवाड़े का शिकार बने थे। इस फर्जी वेबसाइट पर अकाउंटेंट, यूडीसी, एलडीसी, एएनएम, लैब अटेंडेंट, एम्बुलेंस ड्राइवर से लेकर 13,000 से अधिक नौकरियां पोस्ट की गई थीं। नौकरी के इच्छुक लोगों ने विज्ञापित नौकरियों में आवेदन करने के लिए फीस के रूप में लगभग 400 से 500 रुपये का भुगतान किया था।
साइबर सेल ने कहा कि बैंक के एक एटीएम से पैसे निकालते समय गिरोह के एक सदस्य अमन खाटकर को गिरफ्तार किया गया था, जिस खाते में वेबसाइट के पेमेंट गेटवे से पैसे ट्रांसफर किए जा रहे थे। इसके बाद गिरोह के अन्य सदस्यों को भी हरियाणा और दिल्ली के विभिन्न हिस्सों से जल्द ही पकड़ लिया गया।
आरोपियों की पहचान रामधारी, अमनदीप खटकरी, सुरेंद्र सिंह, संदीप और जोगिंदर सिंह के रूप में हुई है। हिसार के 50 वर्षीय रामधारी की पहचान इस गिरोह के मास्टरमाइंड और प्रमुख साजिशकर्ता के रूप में हुई है। वह दिल्ली में एक ऑनलाइन परीक्षा केंद्र भी चलाता है।