नई दिल्ली:
कोरोना संकट (Corona virus) के बीच प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (PM Narendra Modi) ने मंगलवार शाम को राष्ट्र को संबोधित किया. संबोधन की शुरुआत करते हुए कहा कि कोरोना संक्रमण से मुकाबले करते हुए दुनिया को अब चार महीने से ज्यादा समय बीत गया है. इस दौरान तमाम देशों को 42 लाख लोगों संक्रमित हुए हैं. पौने तीन लाख से ज्यादा लोगों की दुखद मौत हुई है. भारत में भी अनेक परिवारों ने अपने स्वजन खोए हैं. मैं सभी के प्रति अपनी संवेदना व्यक्त करता हूं. एक वायरस ने दुनिया को तहस नहस कर दिया है. भारत की प्रगति में तो हमेश विश्व की प्रगति समाहित रही है. भारत के लक्ष्यों का प्रभाव, भारत के कार्यों का प्रभाव विश्व कल्याण पर पड़ता ही है.
आज फिर भारत विकास की ओर सफलतापूर्वक कदम बढ़ा रहा है तब भी विश्व कल्याण की राह पर अटल है. आज हमारे पास साधन है, सामर्थ्य है. हमारे पास दुनिया के सबसे बेहतरीन टैलेंट है. हम अपनी क्वालिटी और बेहतर करेंगे. ये हम कर सकते हैं और करेंगे. पीएम ने कहा कि मैंने अपनी आंखों के सामने कच्छ भूकंप के वे दिन देखे हैं. हर तरफ सिर्फ मलबा ही मलबा. ऐसा लगता था कि मानो कच्छ मौत की चादर ओढ़कर सो गया है. लेकिन देखते ही देखते कच्छ चल पड़ा. यही हम भारतीयों की संकल्प शक्ति है. हम ठान लें तो कोई लक्ष्य असंभव नहीं, कोई राह मुश्किल नहीं. आज तो चाह भी है, राह भी है.

पीएम ने कहा कि 20 लाख करोड़ रुपये का एक पैकेज 2020 में देश की विकास यात्रा को आत्मनिर्भर भारत अभियान को नई गति देगा. आत्मनिर्भर भारत के संकल्प को पूरा करने के लिए इसमें सभी पर बल दिया गया है. ये आर्थिक पैकेज हमारे कुटिर उद्योग, लघु उद्योग और मंझोले उद्योग के लिए हैं, जो आत्मनिर्भर भारत के हमारे संकल्प का मजबूत आधार है. ये आर्थिक पैकेज देश के उस श्रमिक के लिए है, देश के उस किसान के लिए है जो हर स्थिति, हर मौसम में देशवासियों के लिए परिश्रम कर रहा है. ये आर्थिक पैकेज हमारे देश के मध्यम वर्ग के लिए है, जो ईमानदारी से टैक्स देता है, देश के विकास में अपना योगदान देता है
पीएम मोदी ने कहा, ‘आज से हर भारतवासी को अपने लोकल के लिए ‘वोकल’ बनना है, न सिर्फ लोकल उत्पाद खरीदने हैं, बल्कि उनका गर्व से प्रचार भी करना है. मुझे पूरा विश्वास है कि हमारा देश ऐसा कर सकता है. आत्मनिर्भरता हमें सुख और संतोष देने के साथ-साथ सशक्त भी करती है. 21वीं सदी, भारत की सदी बनाने का हमारा दायित्व, आत्मनिर्भर भारत के प्रण से ही पूरा होगा. इस दायित्व को 130 करोड़ देशवासियों की प्राणशक्ति से ही ऊर्जा मिलेगी. आत्मनिर्भर भारत का ये युग, हर भारतवासी के लिए नूतन प्रण भी होगा, नूतन पर्व भी होगा. अब एक नई प्राणशक्ति, नई संकल्पशक्ति के साथ हमें आगे बढ़ना है.’