रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने के लिए अक्सर आवाज उठती रहती है लेकिन फ्रांस में रिटायरमेंट की उम्र घटाने के लिए लोग सड़कों पर उतर रहे हैं. फिलहाल सरकार और जनता के बीच घमासान मचा हुआ है. मीडिया के हवाले से जो तस्वीरें सामने आई हैं उसमें लोग सड़कों पर उग्र प्रदर्शन करते नजर आ रहे हैं. फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों का कहना है कि पेंशन सिस्टम को संतुलित करने के लिए यह सुधार जरूरी है।
हालांकि इसके विरोध में कूड़ा आंदोलन से शुरु हुआ प्रदर्शन हिंसक भी हो सकता है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों द्वारा पेंशन प्रणाली में सुधार के लिए सदन में पेश किए गए बिल को मंजूरी मिल गई है. बीते शनिवार को देर रात इस बिल को लेकर सीनेट में मतदान किया गया. बता दें कि इस बिल का विरोध देशभर में हो रहा है. पेरिस में कई लोगों ने सरकार के फैसले का विरोध किया. पेरिस की पुलिस के साथ झड़पों में कम से कम 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया था।
सफाई कर्मचारी भी हड़ताल पर
इस बिल को लेकर एक तरफ जहां, सफाई कर्मचारी अपनी हड़ताल जारी रखे हुए हैं, वहीं छात्रों ने संसद के निचले सदन तक मार्च करने की योजना बनाई है क्योंकि विधेयक के विरोधी सरकार पर इससे पीछे हटने का दबाव डाल रहे हैं. बुधवार को देश भर में लगभग 5,00,000 लोगों ने विरोध-प्रदर्शन किया था।
विधेयक के खिलाफ मतदान करने की अपील
फ्रांस की अर्थव्यवस्था को और अधिक प्रतिस्पर्धी बनाने के अपने दृष्टिकोण के मद्देनजर मैक्रों पेंशन बदलावों वाले इस विधेयक को आगे बढ़ाना चाहते थे. विभिन्न कर्मचारी संघों ने बुधवार रात को सांसदों से इस विधेयक के खिलाफ मतदान करने की अपील की थी. इस विधेयक के कानून बनने की सूरत में फ्रांसीसी नागरिकों और अर्थव्यवस्था पर किस तरह के प्रभाव सामने आ सकते हैं, ऐसी आशंकाओं के चलते वामपंथी और दक्षिणपंथी सांसद इसका विरोध कर रहे हैं जबकि कजंरवेटिव सांसद इसे लेकर बंटे हुए थे।
रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 साल
इन सुधारों के तहत रिटायरमेंट की उम्र 62 से बढ़ाकर 64 साल की जाएगी, जिसका लोग कई हफ्तों से सड़कों पर उतरकर विरोध कर रहे हैं. सीनेटरों ने 112 के मुकाबले 195 मतों से सुधारों को पारित कर दिया है. अब एक समिति अंतिम मसौदा तैयार करेगी, जिसे अंतिम वोट के लिए सीनेट और नेशनल असेंबली दोनों को प्रस्तुत किया जाएगा।
इस बिल का विरोध कर रहे कर्मचारी संगठन
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक फ्रांस के ज्यादातर कर्मचारी संगठन इस बिल का विरोध कर रहे हैं. उनका कहना है कि इससे मध्य वर्ग पर टैक्स बढ़ेगा. दरअसल लोग, ऐसा इसलिए कह रहे हैं, क्योंकि उनको अब पेंशन पाने के लिए ज्यादा साल काम करना पड़ेगा और फिर अपनी सैलरी से भारी टैक्स भी देना होगा।
मैक्रों सरकार का यह है पक्ष
वहीं फ्रांस सरकार का अपना तर्क हे कि पेंशन सिस्टम में सुधार जरूरी है. अब लोगों को अब कम से कम 43 साल तक काम करना होगा, जो कि 2027 से लागू करने की योजना है. हालांकि, सरकार ने कुछ खास पेशों में छूट दी है, जिसमें पुलिस और दमकलकर्मी शामिल हैं. सरकार ने कहा कि फ्रांस के लोग ज्यादा जीते हैं इसलिए उन्हें ज्यादा काम भी करना चाहिए।
2030 तक ठीक हो जाएगा पेंशन सिस्टम
इस बाबत प्रधानमंत्री एलिजाबेथ बोर्न ने कहा कि इस सुधार से 2030 तक पेंशन सिस्टम ठीक हो जाएगा और लोगों को ज्यादा पेंशन मिलेगी. उन्होंने कहा कि ज्यादा काम करने से लोग ज्यादा टैक्स भी भरेंगे और इसका असर जीडीपी पर भी दिखेगा. यह फ्रांस की पेंशन प्रणाली को दिवालिया होने से बचाने के लिए उचित था।
सरकार के फैसले का विरोध
पेरिस में कई लोगों ने सरकार के फैसले का विरोध किया. पेरिस की पुलिस के साथ झड़पों में कम से कम 120 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, रिपोर्टों में दावा किया गया था कि विरोध के वीडियो सोशल मीडिया पर व्यापक रूप से साझा किए गए थे. फ्रांसीसी ब्रॉडकास्टर बीएफएमटीवी ने पेरिस में प्लेस डे ला कॉनकॉर्ड में लिए गए वीडियो को पोस्ट किया।
फ्रांसीसी संसद के भीतर भी विरोध
स्काई न्यूज की एक रिपोर्ट के अनुसार, इमैनुएल मैक्रॉन के फैसले का फ्रांसीसी संसद के भीतर भी विरोध किया गया था, जिसमें कुछ राजनेताओं ने फ्रांसीसी राष्ट्रगान गाते हुए तख्तियां पकड़ी थीं. रिपोर्ट में पुलिस को दंगा गियर पहने और प्लेस डे ला कॉनकॉर्ड में एकत्रित भीड़ पर हमला करते हुए भी दिखाया गया है।