कोर्ट पहुंची मुक्केबाजों को नहीं मिली राहत, चैंपियनशिप से 2 दिन पहले आएगा फैसला

बॉक्सिंग वर्ल्ड चैंपियनशिप में चयन न होने से निराश देश की तीन युवा बॉक्सर ने इंसाफ के लिए हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया लेकिन उन्हें आसानी से राहत नहीं मिलने वाली है. कोर्ट ने खिलाड़ियों को तुरंत राहत ने देते हुए बॉक्सिंग फेडरेशन से ही खिलाड़ियों के मूल्यांकन शीट की मांग कर दी है. मौजूदा राष्ट्रीय चैंपियन मंजू रानी, शिक्षा नरवाल और पूनम पूनिया के लिए ये समय मुश्किल हो सकता है कि क्योंकि चैंपियनशिप शुरू होने में केवल छह दिन का ही समय शेष है।

तीनो बॉक्सर ने कुछ समय पहले हाईकोर्ट में रिट याचिका दायर की थी. उसमें तीनों मुक्केबाजों ने तर्क दिया कि उन्हें छोड़कर दिसंबर 2022 में भोपाल में आयोजित राष्ट्रीय चैंपियनशिप में सभी स्वर्ण पदक विजेताओं को भारतीय टीम में जगह दी गयी है. कोर्ट ने फैसला सुनाने के लिए 13 मार्च तक का समय लिया है जबकि चैंपियनशिप 15 मार्च से शुरू होनी है।

हाईकोर्ट ने फेडरेशन से मांगी मूल्यांकन शीट

हरियाणा की तीनों बॉक्सरों ने बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया पर भेदभाव के आरोप लगाए. हाई कोर्ट रिट स्वीकार की और सुनवाई की. हालांकि उन्होंने तुरंत कोई भी फैसला करने से माना कर दिया. कोर्ट ने बॉक्सिंग फेडरेशन ऑफ इंडिया को निर्देश दिए हैं कि वर्ल्ड चैंपियनशिप की मूल्यांकन शीट कोर्ट में पेश करें. इस शीट और शिकायत करने वाली महिला बॉक्सर का प्रदर्शन देखते हुए हाईकोर्ट आगे का निर्णय लेगा. विश्व चैंपियनशिप (2019) की सिल्वर मेडल विजेता मंजू ने पीटीआई-भाषा से कहा, ”जब नौ अन्य मुक्केबाजों (जिन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर जीत हासिल की) का सीधा चयन हो गया तो रेलवे की टीम से जुड़े हम तीनों को क्यों नहीं चुना गया।

बीएफआई ने चयन के लिए अपनाई नई नीति

बीएफआई ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीतना टीम चुनने का मानदंड नहीं था. बीएफआई के अनुसार उसने पुरुषों और महिलाओं की विश्व चैंपियनशिप और एशियाई खेलों के लिए नयी चयन नीति का पालन किया. इसमें मंजू (48 किग्रा), शिक्षा (54 किग्रा) तथा पूनम (60 किग्रा) 12 सदस्यीय टीम में जगह नहीं बना सकीं।

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