देश के भविष्य यानी नौनिहालों के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए भारत सरकार ने चीन पर एक और वार किया है. सस्ते चीनी खिलौनों को भारत के बाजार से उखाड़ फेंकने लिए मोदी सरकार जहां पहले इनके आयात और गुणवत्ता से जुड़े नियमों कड़ा कर चुकी है. वहीं अब देसी खिलौंनों का उत्पादन बढ़ाने के लिए 3500 करोड़ रुपये की एक शानदार योजना तैयार की है।
भारत सरकार देश में खिलौनों की मैन्यूफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए 3,500 करोड़ रुपये की प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) योजना ला रही है. इसके लिए कैबिनेट नोट भी तैयार किया गया है।
देश में बनेंगे हर तरह के खिलौने
सस्ते होने की वजह से चीनी खिलौनों की गुणवत्ता खराब होती है. इसलिए देश में इनके आयात को हतोत्साहित करने के लिए सरकार पहले ही गुणवत्ता मानक लेकर आ चुकी है. वहीं अब पीएलआई स्कीम से देश में ही खिलौनों का उत्पादन बढ़ेगा।
इस स्कीम से घरेलू खिलौना कंपनियां हर तरह के खिलौने बनाने को प्रेरित होंगी. वहीं देश में ही सस्ते और अच्छी गुणवत्ता के खिलौने बन सकेंगे. इतना ही नहीं सरकार का ध्यान खिलौनों में इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक इत्यादि पर भी है. ताकि देश के नौनिहालों के स्वास्थ्य के साथ कोई खिलवाड़ ना हो।
हाल में कई ऐसे खिलौना स्टोर पर छापा मारा गया था, जहां बिना गुणवत्ता मानक वाले खिलौने बेचे जा रहे थे. इसमें रिलायंस इंडस्ट्रीज के हेमेलीज स्टोर तक शामिल थे।
साइकिल इंडस्ट्री में नहीं जमाने देंगे पैर
खिलौनों के अलावा चीनी कंपनियां धीरे-धीरे भारत के साइकिल उद्योग में भी अपने पैर पसार रही हैं. सरकार ने इस सेक्टर के लिए भी करीब 3,500 करोड़ रुपये की पीएलआई योजना तैयार की है. इसका मकसद देश में साइकिल विनिर्माण को बढ़ावा देना है।
कैबिनेट से मंजूरी मिलने के बाद इस योजना के संबंध में नियम एवं शर्तों को तय किया जाएगा. इसके बाद सरकार दोनों क्षेत्रों को बढ़ावा देने के लिए कदम बढ़ाएगी।
हालांकि मांग को देखते हुए भारत ने मार्च की शुरुआत में चीन से खिलौनों के आयात पर प्रतिबंध हटा दिया था. हालांकि चीनी खिलौना कंपनियों के उत्पाद अंतरराष्ट्रीय सुरक्षा मानदंडों के अनुरूप होने चाहिए. इससे पहले भारत ने 23 जनवरी को सार्वजनिक स्वास्थ्य और सुरक्षा के आधार पर चीनी खिलौनों के आयात पर छह महीने के लिए प्रतिबंध लगा दिया था।