कोरोना वायरस के संक्रमण और ख़ासकर निज़ामुद्दीन में तब्लीग़ी जमात का मामला सामने आने के बाद देश में पनपे अविश्वास के माहौल में इस घटना पर सहजता से विश्वास होना मुश्किल है. लेकिन यह है सौ फ़ीसदी सच.
पश्चिम बंगाल के मालदा ज़िले के एक गांव के मुस्लिमों ने अपने हिंदू पड़ोसी की मौत के बाद लॉकडाउन के संकट के बीच न सिर्फ़ उसके शव को कंधा देकर 15 किमी दूर शवदाह गृह तक पहुंचाया बल्कि शव यात्रा के दौरान बंगाल में प्रचलित “बोलो हरि, हरि बोल” और “राम नाम सत्य है……” के नारे भी लगाए.
बंगाल से पहले भी सांप्रदायिक सद्भाव की ऐसी कई घटनाएं सामने आती रही हैं. मिसाल के तौर पर बीते साल पश्चिम बंगाल के उत्तर 24-परगना ज़िले के एक परिवार ने सांप्रदायिक सद्भाव की अनूठी मिसाल पेश करते हुए दुर्गा पूजा के दूसरे दिन अष्टमी को होने वाली कुमारी पूजा में चार साल की मुस्लिम बच्ची की पूजा की थी.
लेकिन मौजूदा घटना एकदम अलग है. मालदा ज़िले में कालियाचक-2 ब्लॉक के लोहाईतला गांव में 90 साल के बिनय साहा की मंगलवार देर रात को मौत के बाद उनके दोनों पुत्रों–कमल साहा और श्यामल साहा को समझ में नहीं आ रहा था कि वह लोग इस लॉकडाउन में अंतिम संस्कार की व्यवस्था कैसे करें.