देश की पहली महिला स्काइडाइवर की कहानी, जानेगी अब दुनिया सारी

भारत की महिला क्रिकेट टीम ने हाल ही में इतिहास रचा था. शेफाली वर्मा की कप्तानी वाली इस टीम ने साउथ अफ्रीका में खेले गए आईसीसी अंडर-19 विश्व कप में जीत हासिल की थी और भारत को महिला वर्ग में पहला विश्व कप दिलाया था. आज के समय में भारत में महिलाएं हर खेल में आगे बढ़ रही हैं और इन सभी के लिए रेचल थॉमस एक आदर्श हैं. भारतीय खेल लगातार नया कौशल और आत्मविश्वास हासिल कर रहा है.जमीन पर खेले जाने वाला खेल हो या आसमान में गोता लगाने वाला अति रोमांचकारी और एडवेंचर से भरा साहसिक खेल स्काई डाविंग, सबमें महिलाएं अपने बेहतरीन कौशल का प्रदर्शन कर रही हैं।

आसमान में छलांग लगाने वाली ऐसी ही साहसी और आत्मविश्वास से भरी स्काईडाइविंग खिलाड़ी हैं रेचल थॉमस. आज उनकी आत्मकथा लिमिटलेस का विमोचन हुआ जो आने वाले खिलाड़ियों के लिए प्रेरणादायक होगी. दिल्ली के कान्स्टीट्यूशन क्लब में आयोजित देश की पहली महिला स्काईडाइवर रेलच थॉमस की आत्मकथा के विमोचन समारोह में पूर्व केंद्रीय मंत्री व एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजीव प्रताप रुडी ने हिस्सा लिया।

रेचल हैं प्ररेणा

रुडी ने कहा कि अपने दो बच्चों को मां का लाड-प्यार देते हुए 24 साल की उम्र में यह उपलब्धि प्राप्त करने वाली रेचल थॉमस महिला खिलाड़ियों के लिए प्रेरक हैं. बता दें कि 20 अप्रैल 1979 को, थॉमस भारत की पहली महिला स्काईडाइवर बनीं, जिन्होंने आगरा में स्काईडाइविंग फेडरेशन ऑफ इंडिया से अपना ए लाइसेंस प्राप्त करने के बाद अपना करियर शुरू किया. वह सिर्फ 24 साल की थीं और दो बच्चों की मां थीं जब उन्होंने यह उपलब्धि हासिल की थी।

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि, एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष राजीव प्रताप रुडी ने और रेचल थॉमस की हिम्मत और जज्बे की सराहना करते हुए कहा कि जिस समय कोई इस खेल के बारे में सोच भी नहीं सकता था उस समय पदमश्री रेचल थॉमस ने आकाश में कलाबाजियां दिखाईं.राजीव प्रताप रुडी एयरो क्लब ऑफ इंडिया के अध्यक्ष होने के साथ-साथ एक व्यावसायिक लाईसेंसधारक पायलट भी हैं।

आसान नहीं रहा सफर

कार्यक्रम में उपस्थित पद्मश्री रेचल थॉमस ने स्काइडाइविंग को लेकर अपने जुनून की चर्चा करते हुए उन्होंने अपने रास्ते में आने वाली मुश्किलों के बारे में बात की और बताया कि कैसे तमाम मुश्किलों को पार करते हुए वो अपनी मंजिल तक पहुंची. उनकी मंजिल थी देश की पहली महिला स्काईडाइवर बनना और उन्होंने अपना मुकाम हासिल कर के ही दम लिया।

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