8 साल की उम्र में खोई आंखें, देश के लिए खेला वर्ल्ड कप, बेरोजगार क्रिकेटर चाहता है मदद

भारत देश में क्रिकेटरों को भगवान की तरह पूजा जाता है और उन्हें बहुत सम्मान दिया जाता है, लेकिन कुछ क्रिकेटर ऐसे भी हैं जिन्हें दिखाई नहीं देता लेकिन वो फिर भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का नाम रोशन कर रहे हैं. इसके बावजूद उसे कोई नहीं जानता. सरकार भी ऐसे खिलाड़ियों की कोई मदद नहीं करती है, वे बड़ी मुश्किल से अपना गुजारा करते हैं. ऐसे ही एक खिलाड़ी हैं जालंधर के दृष्टिबाधित (ब्लाइंड) क्रिकेटर तजिंदर पाल सिंह।

तजिंदर सिंह जो दृष्टिबाधित क्रिकेट में पंजाब की टीम के इकलौते खिलाड़ी हैं और उन्होंने भारत के लिए वर्ल्ड कप खेला है लेकिन फिर भी उन्हें सरकार से कोई मदद नहीं मिल रही है. तजिंदर पाल ने कहा कि 2014 में दक्षिण अफ्रीका के केपटाउन में भारत और पाकिस्तान के बीच विश्व कप का फाइनल मैच था. तजिंदर ने इस मैच में दो विकेट हासिल किए थे और देश को वर्ल्ड चैंपियन बनाया था।

नरेंद्र मोदी से मिले थे तजिंदर

वर्ल्ड कप के बाद जब वे भारत लौटे तो उन्होंने देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से मुलाकात की. केंद्र सरकार ने सभी खिलाड़ियों को विश्व कप जीतने पर नगद पुरस्कार दिया. खेल कोटे में नौकरी देने की बात पर तजिंदर पाल ने कहा, ‘दूसरे राज्यों की सरकारों ने खिलाड़ियों को खेल कोटे में अच्छे पदों पर नौकरी दी है, लेकिन पंजाब सरकार ने अब तक नौकरी नहीं दी है।

8 साल की उम्र में खोई आंखो की रोशनी

इस सिलसिले में तजिंदर सिंह से बातचीत की गई और उन्होंने बताया कि वह महज 8 साल के थे जब एक हादसे के कारण उनकी आंखें चली गईं. खेलने का जुनून था जो उन्होंने नहीं छोड़ा, जिसके आधार पर वे देहरादून गए जहां उन्होंने ब्लाइंड क्रिकेट खेलना सीखा. उन्होंने बताया कि यह सामान्य क्रिकेट की तरह है लेकिन अंडरआर्म गेंदबाजी की जाती है और खिलाड़ियों की 3 कैटेगरी होती हैं. अगर क्रिकेट के नियमों की बात करें तो यह अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट से थोड़ा अलग है, लेकिन वो भी बहुत अभ्यास करते है और कड़ी मेहनत करते है।

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