साल 2003 में उत्तर प्रदेश में हुए देश के बदनाम मधुमिता हत्याकांड की फिर चर्चा होने लगी है. भले ही क्यों न इस कांड के हाई प्रोफाइल मुजरिम जेल की सलाखों में उम्र कैद की सजा काट रहे हों. दरअसल, अब इतने पुराने हत्याकांड के चर्चाओं में आने की वजह है एक डॉक्यूमेंट्री. जिसे आप ओटीटी प्लेटफार्म पर देख सकते हैं. डॉक्यूमेंट्री का नाम है “लव किल्स मधुमिता शुक्ला हत्याकांड”. यह कहानी है उसी मधुमिता शुक्ला हत्याकांड की जिसने कभी, यूपी की राजनीति में भूचाल ला दिया था. क्योंकि इसका मुख्य मुजरिम निकला था दबंग नेता अमरमणि त्रिपाठी और उसकी बीवी. जो उम्रकैद की सजा होने के बाद से ही सलाखों में कैद है।
“लव किल्स मधुमिता शुक्ला हत्याकांड” जल्द ही आपको डिस्कवरी प्लस ऑरिजनल पर देखने को मिलेगी. 9 फरवरी 2023 यानी कल गुरुवार यह डॉक्यूमेंट्री इस ओटीटी प्लेटफॉर्म पर स्ट्रीम कर दी जाएगी. डॉक्यूमेंट्री में वो सब कुछ मौजूद मिलने की उम्मीद की जा सकती है जो, सच में भी कभी जमाने के सामने आ चुका है. वो सच जिसमें शामिल था खून, षडयंत्र, हथियार, कातिल और राजनीति व राजनेता यानी सफेदपोशों के तिकड़मी दिमागों का कॉकटेल।
9 मई 2003 को कवियत्री मधुमिता शुक्ला की हुई हत्या
बताना जरूरी है कि डिस्कवरी प्लस ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर भी, सीरीज से संबंधित जानकारी शेयर कर दी है. शेयर पोस्टर में कैप्शन के साथ लिखा है, “लव किल्स मधुमिता शुक्ला हत्याकांड” में जल्द ही देखें सेक्स, राजनीति से होते हुए किस तरह कवयित्री मधुमिता शुक्ला के पांव अकाल मौत यानी कत्ल की ओर बढ़ते चले गए. यहां जिक्र करना जरूरी है कि कवियत्री मधुमिता शुक्ला को 9 मई 2003 को कत्ल कर डाला गया था. बाद में पुलिसिया पड़ताल से साबित हुआ था कि, कत्ल की जड़ में लव, अवैध संबंध, ब्लैकमेलिंग का तड़का लगा हुआ था।
बात मोहब्बत से हटकर कत्ल और साजिश तक पहुंची
जिसके चलते बात मोहब्बत से हटकर कत्ल और कत्ल के षडयंत्र तक जा पहुंची थी. शव के पोस्टमॉर्टम से इस बात की पुष्टि हुई थी कि, कत्ल किए जाने के वक्त मधुमिता शुक्ला गर्भवती थी और उस भ्रूण का डीएनए संदिग्ध आरोपी और यूपी के दबंग नेता अमरमणि त्रिपाठी से मैच कर गया था. उस हत्याकांड का मुकदमा बाद में उत्तराखंड स्थित देहरादून की अदालत में चला था. अदालत ने मुख्य आरोपी षडयंत्रकारी अमरमणि त्रिपाठी, उसकी बीवी मधुमणि त्रिपाठी, भतीजे रोहित चतुर्वेदी सहित, दो अन्य मुलजिमों संतोष राय और प्रकाश पाण्डेय को मुजरिम करार दिया. उन सभी को कोर्ट ने उम्रकैद की सजा मुकर्रर की थी. अक्टूबर साल 2007 में नैनीताल हाई कोर्ट ने भी निचली कोर्ट के फैसले पर अपनी मुहर लगा दी।