पाकिस्तान: तालिबान सरकार को कब देगा मान्यता
अफगानिस्तान में तालिबान की लगातार पैरवी कर रहे पाकिस्तान ने बताया है कि वह तालिबान सरकार को कब मान्यता दे सकता है। यूनाइटेड नेशंस में पाकिस्तान के राजदूत मुनीर अकरम ने कहा है कि पाकिस्तान काबुल में तालिबान शासन को तब मान्यता देगा जब इस मसले पर विशेष रूप से क्षेत्रीय देशों की आम सहमति होगी। 17 मार्च को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में तालिबान शासन को राजनयिक मान्यता दिए औपचारिक संबंध स्थापित किए जाने को लेकर फिर से सवाल उठा था। इसे लेकर 15 देशों में से 14 ने प्रस्ताव के लिए मतदान किया जबकि रूस वोटिंग से बाहर रहा। वोटिंग से दूर रहने को लेकर रूस ने कहा कि मॉस्को को परहेज होने के लिए मजबूर होना पड़ा क्योंकि संयुक्त राष्ट्र की उपस्थिति के लिए मेजबान देश से सहमति प्राप्त करने के कोशिशों को नजरअंदाज कर दिया गया था। पाकिस्तान पहला देश है जो तालिबान शासन से सबसे बेहद करीबी संबंध बनाए हुए है लेकिन अब तक तालिबान सरकार को मान्यता नहीं दी है। यह पूछे जाने पर कि क्या यूनाइटेड
नेशंस के वोट से इस मुद्दे पर पाकिस्तान की स्थिति प्रभावित होगी, पाकिस्तान के राजदूत अकरम ने कहा कि हम तालिबान को तब मान्यता देंगे जब आम सहमति होगी, खासकर क्षेत्रीय देशों के बीच। पाकिस्तान के राजदूत अकरम ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव में अमेरिका में अफगानिस्तान की संपत्ति को अनफ्रीज करने की जरूरत पर भी जोर दिया गया है। उन्होंने अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र मिशन को मानवाधिकारों और मानवीय सहायता पर भी और ध्यान देने की बात कही है। अफगानिस्तान के छह पड़ोसी देश अप्रैल महीने में चीन में बैठक कर रहे हैं। इस बैठक में तालिबान सरकार को मान्यता देने पर भी बातचीत की उम्मीद है। इस बैठक में चीन, ईरान, पाकिस्तान, ताजिकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान शामिल होंगे। तालिबान का एक प्रतिनिधिमंडल भी इस बैठक में भाग लेगा। रिपोर्ट्स के मुताबिक रूस भी इस बैठक में भाग ले सकता है हालांकि इस बात कि अब तक पुष्टि नहीं हो सकी है।