सोशल मीडिया को पूरी आजादी लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकती है…

जागरण इंस्टिट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट एंड मास कम्युनिकेशन की तरफ से कक्षा 9 से 12 तक एक डिबेट कंपटीशन का आयोजन किया गया।सोशल मीडिया को पूरी आजादी लोकतंत्र के लिए खतरनाक हो सकती है इस विषय में पी पी एन इंटर कॉलेज कानपुर के छात्र वीरभद्र सिंह ने पक्ष व संस्कार पाठक विपक्ष में भाग लिया संस्कालिए खतरा हो सकती है* विपक्ष में बोलते हुए संस्कार पाठक ने बताया कि आप किस तरह से सोशल मीडिया पर यह लांछन लगा सकते हैं कि वह लोकतंत्र के लिए खतरा है। यदि मैं बात करूं तो आप अपनी बात रखने के लिए वर्तमान में किस का सहारा लेंगे, इलेक्ट्रॉनिक मीडिया, प्रिंट मीडिया क्योंकि या तो बिकाऊ है या फिर वहां तक पहुंचने के लिए आपको उन को घूस देने की जरूरत होगी। जो कि प्रत्येक भारत का नागरिक वह नहीं कर सकता है।मैं मानता हूं सोशल मीडिया से खतरा है,लेकिन जिस प्रकार अल्फ्रेड नोबेल ने डायनामाइट की खोज मानव कल्याण के लिए पहाड़ों को तोड़ने और ऐसी दुर्गम जगहों पर रस्ते बनाने के लिए की थी। जहां पर इंसान का जाना संभव ही नहीं था परंतु यह तो मनुष्य की मूर्खता मानी जाएगी कि उसने उसी डायनामाइट का प्रयोग युद्धों में किया इसलिए आप यह तो नहीं कह सकते कि पूरा का पूरा आविष्कार ही गलत है। आविष्कार हमेशा सही के लिए होता है उसका हम उपयोग सदुपयोग और दुरुपयोग किस प्रकार करते हैं ,यह हमारे ऊपर निर्भर करता है।इसी प्रकार सोशल मीडिया से उत्पन्न खतरे जो खतरे उत्पन्न हुए हैं वह हमें स्वयं किए है, इसमें हमारी गलती है न कि सोशल मीडिया की सोशल मीडिया को लोगों को जोड़ने के लिए बनाया गया था। लोगों के विचार विचार अभिव्यक्ति के अधिकार को और स्वतंत्र करने के लिए बनाया गया तो उन्हें पूरी आजादी देने के लिए बनाया गया था किंतु उस पर झूठ सांप्रदायिकता फोटोशॉप और बहकावे की बातें हमने फैलाई इसमें सोशल मीडिया का कोई हाथ नहीं था। यदि आप कहते हैं कि सोशल मीडिया से लोकतंत्र को खतरा है तो मैं कहूंगा नहीं लोकतंत्र को उन लोगों से खतरा है जो सोशल मीडिया को गलत तरीके से इस्तेमाल करते हैं ।आज के जमाने में आप नेताओं के डर के चलते खुले रूप से अपनी बात को मीडिया में नहीं रख सकते क्योंकि आजकल नेता लोग गुंडागर्दी पर उतर आए हैं। इससे आपको यह डर रहता है कि कहीं आपको जान और जान माल की हानि न हो जाए सोशल मीडिया की मदद से आप डायरेक्ट अपनी बात को बिना अपना नाम बताएं अपनी पहचान को गोपनीय रखते हुए दुनिया के सामने किसी भी नेता का किसी भी बड़े आदमी का झूठ पूरी दुनिया के सामने रख सकते हैं इससे आपकी पहचान भी छूटी रहेगी। मीडिया सोशल मीडिया को अपने विचार रखने के लिए आपकी अभिव्यक्ति के अधिकार को व्यक्त करने के लिए एक स्वतंत्र मंच देती है। जिस पर आप अपने शुद्ध विचारों को बिना किसी दबाव में आकर स्वतंत्रता से रख सकते हैं।

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