ताजनगरी में पति-पत्नी के विवाद बढ़ते जा रहे हैं। प्रतिदिन पुलिस के पास आने वाली शिकायतों में 60 प्रतिशत मामले घरेलू विवाद के आ रहे हैं। पत्नियां तत्काल एक्शन चाहती हैं। वे चाहती हैं कि पुलिस पति को बुलाए। हवालात में बंद करे और धुन डाले। पुलिस परेशान है। समझ नहीं पा रही है कि पति-पत्नी के बीच बढ़ते विवादों को कैसे कम करें।
एसएसपी ऑफिस ही नहीं थानों का भी यही हाल है। लगभग 60 प्रतिशत शिकायतें पति-पत्नी के विवादों की होती हैं। एसएसपी ऑफिस में प्रतिदिन 50 से 60 पीड़ित अपनी शिकायतें लेकर आते हैं। सबसे ज्यादा शिकायतें घरेलू विवादों की होती हैं। पुलिस पति-पत्नी के बीच समझौते के प्रयास के लिए पहले काउंसलिंग कराना चाहती हैं। महिलाएं चाहती हैं कि तत्काल मुकदमा हो जाए। मुकदमा लिख जाता तो वे ये आरोप लगाती हैं कि पुलिस गिरफ्तारी नहीं कर रही है। पुलिस ने धाराएं हटा दी हैं।
ऐसा ही कुछ हाल थानों का है। महिलाओं की समस्या के निस्तारण के लिए पुलिस थानों पर भी पंचायत कराती है। एक विवाद में घंटों पंचायत चलती है मगर बहुत कम मामलों में ही कोई नतीजा निकल पाता है। शुक्रवार को एक पीड़िता न्यू आगरा थाने आई थी। पुलिस ने दोनों पक्षों को बुलाया। चार साल पहले शादी हुई थी। विवाहिता अब पति के साथ रहने को तैयार नहीं। वह चहाती थी कि पुलिस उसके साथ ससुराल जाए। उसके गर्म कपड़े और प्रमाण पत्र दिलवा दे। पुलिस तैयार हो गई। पुलिस जाती इससे पहले थाने में ही दोनों पक्षों में तकरार हो गई। विवाहिता ने कहा कि उसे अपने गहने भी चाहिए। ससुरालीजन यह कहने लगे कि गहने तो बहू पहले ही ले जा चुकी है। पुलिस ने जैसे-तैसे ससुरालीजनों का समझाया। बताया कि बहू मुकदमा नहीं चाहती। विवाद को बढ़ाने से क्या फायदा। उसका सामान वापस कर दें। बाद में तय हुआ कि गहने छोड़कर विवाहिता ससुराल में रखा अपना पूरा सामान लेकर जा सकती है।
ये निकलते हैं विवाद के असली कारण
-पति देर रात घर लौटता है। शराब पीता है। खर्चा नहीं देता।
-पति मोबाइल पर व्यस्त रहता है। दूसरी महिला से अफेयर है।
-जब भी फोन मिलाओ उल्टा ही जवाब देता है। किसी दूसरी महिला का फोन आ जाए तो हंस कर बात करता है।
-पति शक करता है। चोरी छिपे मोबाइल चेक करता है। बाद में झगड़ा करता है।
-महिलाएं पति के साथ अलग घर में रहना चाहती हैं।
तत्काल निस्तारण चाहती हैं पीड़िताएं
थाना प्रभारियों ने बताया कि बड़ी संख्या में पीड़ित महिलाएं मुकदमा तक नहीं लिखाना चाहती हैं। वे चाहती हैं कि पुलिस पति को बुलाए। हड़काए। उसे यह अहसास कराए कि पत्नी को परेशान किया तो जेल जाना पड़ेगा। पुलिस थोड़ी सख्ती भी करे। कुछ देर के लिए पति को हवालात में बंद कर दे। इंस्पेक्टर हरीपर्वत अरविंद कुमार ने बताया कि कई बार त्वरित निस्तारण के प्रयास भी मामला बिगाड़ देते हैं। कई पति ऐसे जिद्दी होते हैं कि थाने में हुई बेइज्जती को दिल से लगा देते हैं। यह ठान लेते हैं कि अभी किसी भी सूरत में समझौता नहीं करेंगे। इसलिए पुलिस दोनों पक्षों को आमने-सामने बैठाती है। यह देखती है कि किसकी क्या गलती है। कोशिश यही रहती है कि परिवार बच जाए। पहले यह काम परिवार के बुजुर्ग किया करते थे। अब पुलिस को करना पड़ता है।
तहरीर में इन आरोपों से पुलिस परेशान
पुलिस अधिकारियों ने बताया कि विवाहिताएं जो प्रार्थना पत्र देती हैं उनमें लिखे आरोपों से समझौते की संभावनाएं कम हो जाती हैं। पैरोकार विवाहिताओं को गलत सलाह देते हैं। दस में छह प्रार्थना पत्र में अब ससुर और देवर पर बुरी नजर रखने के आरोप लगाए जाते हैं। यह भी लिखा जाता है कि यह जानकारी सास को दी तो मगर उन्होंने भी डांट दिया। पति को बताया तो उसने पीटा।
तीन बार नहीं आने पर मुकदमा
पहले परिवार परामर्श केंद्र में महीनों सुनवाई चलती थी। समझौते के प्रयास किए जाते थे। कई बार नोटिस पर भी पति परिवार परामर्श केंद्र नहीं पहुंचते थे। एडीजी जोन राजीव कृष्ण ने इसे गंभीरता से लिया। अब सिर्फ तीन बार नोटिस भेजा जाता है। तीन बार में कोई नहीं आता है तो तत्काल मुकदमा लिखा जाता है।