मशहूर अभिनेता सिद्धार्थ शुक्ला के निधन से सभी सकते में हैं। ‘झलक दिखला जा 6’, ‘फियर फैक्टर: खतरों के खिलाड़ी 7’ में उनकी फिटनेस को देख चुके लोगों के लिए यह यकीन करना मुश्किल हो रहा है कि इतना फिट व्यक्ति भी इस घातक आघात का शिकार हो सकता है। सिद्धार्थ शुक्ला अभी सिर्फ 40 वर्ष के थे। बृहस्पतिवार को सुबह जब उन्हें मुंबई के कूपर अस्पताल ले जाया गया, तब तक उनकी मौत हो चुकी थी और इसका कारण हृदयाघात (Heart attack) बताया जा रहा है।
इस खबर के साथ ही लोगों के मन में सवाल आने लगा है कि क्या युवा और फिटनेस फ्रीक भी हार्ट अटैक के शिकार हो सकते हैं? इसके लिए हमने फोर्टिस मेमोरियल रिसर्च इंस्टीट्यूट, गुरुग्राम में सीटीवीएस प्रमुख और निदेशक डॉ. उद्गीथ धीर से बात की। आइए उन्हीं से जानते हैं 40 की उम्र में हार्ट अटैक के बढ़ते जोखिम के बारे में सब कुछ।
क्या हो सकते हैं 40 की उम्र में हार्ट अटैक के कारण
डॉ. उद्गीथ धीर दिल की कार्यप्रणाली समझाते हुए कहते हैं, “दिल पूरे शरीर में खून पहुंचाने के साथ-साथ खुद को भी खून पहुंचाता है। इसके लिए दिल में 3 कोरोनरी धमनियां होती हैं।
जब इन 3 में से किसी एक या तीनों धमनियों में खून की आपूर्ति में अचानक 75% से ज़्यादा की कमी आ जाए, तो इसे दिल का दौरा कहा जाता है। इस अवस्था में दिल की मांसपेशियों में खून की आपूर्ति कम हो जाती है, टेक्नीकल भाषा में इसे एक्यूट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन (acute myocardial infarction) कहा जाता है, जिसे आम भाषा में हम दिल का दौरा कहते हैं।”
इसका मतलब है कि खून या अप्रत्यक्ष रूप से ऑक्सीजन की मांग और आपूर्ति में सही मेल न होने पर दिल का दौरा पड़ सकता है। चिंता, बहुत ज़्यादा धूम्रपान या शराब पीने, बहुत ज़्यादा व्यायाम या जिमिंग करने या किसी दूसरी वजह से दिल की मुख्य धमनियों में अचानक खून का थक्का बनने से भी दिल का दौरा पड़ सकता है।
कैसे हो सकता है निदान
डॉ. धीर सुझाव देते हैं कि दिल का दौरा पड़ने की बात सुनिश्चित होने के बाद इको, ब्लड टेस्ट, एंजियोग्राफी जैसे विभिन्न तरीकों से पता लगाया जाता है कि धमनी में किस तरह की रुकावट है। रुकावट का पता चलने के बाद दवाईयों, ब्लड थिनर, स्टेंटिंग या सर्जरी जैसे तरीकों से इसका इलाज किया जाता है। इलाज होने के बाद मरीज़ को फिर से ठीक होने में समय लगता है। इसलिए रिकवरी के दौरान हमें अपने व्यायाम प्रोटोकॉल पर बहुत ध्यान देना होगा।
धीरे-धीरे करें व्यायाम की शुरुआत
दिल के काम करने की स्थिति और दिल के दौरे की गंभीरता के आधार पर हम मरीज़ों को धीरे-धीरे व्यायाम शुरू करने के लिए कहते हैं। इसे हम दिल को फिर से ठीक करने का ग्रेडेड शेड्यूल भी कहते हैं।
छोटे से उदाहरण से इसे समझते हैं, जैसे अगर आप बच्चे को दूध पिलाते हैं और उसे व्यायाम नहीं करवाते तो बच्चा मोटा हो जाएगा। इसी तरह दिल भी हमारे शरीर के बच्चे की तरह है और अगर हम उसे केवल पर्याप्त पोषण दें और व्यायाम नहीं करने दें तो नुकसान हो सकता है।
दिल की सेहत के लिए किस तरह के व्यायाम करना है बेहतर?
अगर उन्हें पहले दिल का दौरा पड़ चुका है और उनका सही तरह से इलाज किया गया है, तो व्यायाम करने में कोई खतरा नहीं है।
6 हफ्ते के रिकवरी समय के दौरान जिन मरीज़ों का दिल 35% से कम काम करता है, उन्हें हम ग्रेजुएऐड एक्सरसाइज प्रोटोकॉल अपनाने की सलाह देते हैं। हम व्यायाम करते समय उनकी टेलीमेट्री, ईसीजी और कार्डियो एक्टिविटी पर निगाह रखते हैं, किसी भी तरह के बदलाव को रिकॉर्ड किया जाता है। मरीज़ हमारे मोबाइल फोन और कंप्यूटर से जुड़े रहते हैं।
हम उनके आंकड़ों को ट्रैक करते हैं और उनको ज़रूरत से ज़्यादा व्यायाम करने से रोकते हैं। अति हर चीज की बुरी होती है।
इसलिए, मैं कहूंगा कि सर्जरी या पीटीसीए के 6 हफ्ते के भीतर अगर उनका दिल 40-45% से ज़्यादा काम कर रहा है और उनको एक्टिव एंजाइना नहीं है, तो उन्हें व्यायाम को धीरे-धीरे बढ़ाते हुए सामान्य स्थिति की तरफ आना चाहिए। यानी 45 मिनट में में 4 किमी चलने की कोशिश करनी चाहिए।
रिवकरी के बाद इन बातों का जरूर रखें ध्यान
सैर या पैदल चलना एक्यूट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन से ठीक होकर रिकवरी कर रहे सभी मरीज़ों के लिए यह बहुत बढ़िया व्यायाम है। उन्हें पूरी मेहनत से व्यायाम करना चाहिए।
अगर मरीज़ को डायबिटीज है, तो उन्हें सख्त ग्लाइसेमिक कंट्रोल रखना होगा और एक्यूट मायोकार्डियल इन्फ्रक्शन से रिकवरी के दौरान 6 सप्ताह के भीतर व्यायाम शुरू करना होगा। हम उन्हें बताते हैं कि व्यायाम से उनका ग्लाइसेमिक कंट्रोल भी बढ़ता है और दिल के दौरे का खतरा भी कम होता है।