अमेरिकी सेना पूरी तरह से अफगानिस्तान छोड़कर जा चुकी है। ने काबुल सहित पूरे अफगानिस्तान पर कब्जा कर लिया है सिवाय पंजशीर घाटी के। तालिबान के लिए पंजशीर घाटी को जीतना मुश्किल होता दिख रहा है। तालिबान ने लगातार पंजशीर घाटी में विद्रोहियों से हथियार डालने का आह्वान किया है लेकिन नॉर्दर्न अलायंस के लड़ाकों ने इस बात से साफ़ इनकार कर दिया है। अब तालिबान ने पंजशीर घाटी में अहमद मसूद के साथ वार्ता विफल होने के बाद पंजशीर में मिलिट्री ऑपरेशन लॉन्च करने का फैसला लिया है। यह रिपोर्ट अल जजीरा ने दी है।
तालिबान और नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ़ अफगानिस्तान के बीच हुए लड़ाई में 350 तालिबान लड़ाके मारे गए हैं। 280 से अधिक घायल हो गए हैं और करीब 35 लड़ाकों को हिरासत में ले लिया गया है। यह जानकारी नेशनल रेजिस्टेंस फ्रंट ऑफ़ अफगानिस्तान के प्रवक्ता फहीम दश्ती ने दी है। उन्होंने बताया है कि हम शांति चाहते हैं लेकिन तालिबान युद्ध के पक्ष में दिख रहा है तो हम इसके लिए भी तैयार हैं।
पंजशीर घाटी के लोग पीछे हटने के मूड में नहीं
न्यूज़ एजेंसी एएफपी की रिपोर्ट बताती है कि पंजशीर घाटी के लोग पीछे हटने के मूड में नहीं है। स्थानीय लोगों का कहना है कि वह अपने खून की आख़िरी बूंद तक पंजशीर घाटी की रक्षा करेंगे। लोगों का कहना है कि हमने रूसियों के युग, अंग्रेजों के युग, तालिबान के पिछले युग के दौरान इसका बचाव किया है और हम इसका बचाव करना जारी रखेंगे।
बता दें कि पंजशीर घाटी में अफगानिस्तान के कार्यवाहक राष्ट्रपति अमरुल्लाह सालेह भी मौजूद हैं जिन्होंने तालिबान को अफगानिस्तान से उखाड़ फेंकने की कसम खाई हुई है। इसके साथ ही अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद भी यहीं हैं और उन्होंने कहा है कि मैं अहमद शाह मसूद का बेटा हूं। मेरी डिक्शनरी में सरेंडर जैसा कोई शब्द नहीं है। तो ऐसे में तालिबान के लिए पंजशीर घाटी पर नियंत्रण बेहद मुश्किल होने वाला है।