UPPSC : दो दशक में यूपीपीएससी एपीएस की दो भर्ती, दोनों में विवाद

उत्तर प्रदेश लोक सेवा आयोग ने बीते दो दशक में अपर निजी सचिव की दो भर्तियां निकालीं और दोनों को लेकर विवाद हो गया। 2010 की भर्ती में सीबीआई ने 4 अगस्त को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, साजिश के तहत ठगी और फर्जीवाड़ा की धाराओं में मुकदमा दर्ज किया तो वहीं 2013 के दोनों चरणों की परीक्षा निरस्त कर दी गई।

29 अगस्त 2001 को नियमावली में संशोधन के बावजूद उसके विरुद्ध विज्ञापन निकालने से साफ है कि जानबूझकर ऐसा किया गया ताकि चहेतों को लाभ दिया जा सके। सचिव जगदीश का कहना है कि संशोधित विज्ञापन जारी करते हुए नए सिरे से भर्ती कराई जाएगी। हालांकि पहले आवेदन कर चुके अभ्यर्थियों को ही मौका मिलेगा।

इस बीच प्रतियोगियों ने इस भर्ती की अब तक हुई प्रक्रिया में संलिप्त रहे आयोग कर्मियों की सीबीआई से जांच कराकर कार्रवाई की मांग की है। छात्रों का कहना है कि भले ही आयोग ने भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने का आधार सेवा नियमावली का उल्लंघन बताया है, लेकिन इसके पीछे की असली वजह कुछ और है।

सेवा नियमावली के प्रावधानों के विपरीत जाकर इस भर्ती का विज्ञापन एक सोची-समझी रणनीति के तहत जारी किया गया था ताकि चहेते लोगों को लाभ दिया जा सके। अभ्यर्थियों का यह भी कहना है कि नियमों के अनुसार आवेदन पत्र प्राप्त होने के बाद आयोग स्तर पर स्कूटनी करके निर्धारित शैक्षिक अर्हता पूरी न करने वाले अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर कर दिया जाता है।

लेकिन 8 साल बीतने के बावजूद निर्धारित कंप्यूटर सर्टिफिकेट धारित नहीं करने वाले अभ्यर्थियों को चयन प्रक्रिया से बाहर नहीं किया गया, बल्कि बार-बार शासन को प्रस्ताव भेजकर ऐसे अभ्यर्थियों को छूट देने का अनुरोध किया जाता रहा, जिसे शासन ने हर बार मना किया है।

अनियमितताओं के साक्ष्य मिलने पर निरस्त की परीक्षा
सीबीआई को एपीएस भर्ती 2013 में तमाम अनियमितताएं बरतने के साक्ष्य मिले हैं। इसे सीबीआई टीम ने जब आयोग के अधिकारियों से साझा किया तो आयोग को आननफानन में पूरी भर्ती प्रक्रिया निरस्त करने का निर्णय लेना पड़ा। प्रतियोगी छात्र संघर्ष समिति के अध्यक्ष अवनीश पांडेय का कहना है कि यदि एपीएस भर्ती 2013 की जांच कराई जाए तो एपीएस भर्ती 2010 से भी बड़ा घोटाला सामने आएगा। इसलिए सीबीआई से अनुरोध किया जा रहा है कि इस भर्ती को जल्द से जल्द जांच के दायरे में लेकर दोषियों के खिलाफ उचित कार्रवाई की जाए। भले ही इस भर्ती का परीक्षा परिणाम वर्ष 2018 में घोषित हुआ है, लेकिन अब तक की समस्त परीक्षाएं सीबीआई जांच की कटऑफ डेट (2012-2017) में संपन्न हुई है। लिहाजा सीबीआई को एपीएस भर्ती 2010 की तरह पहल करके इस भर्ती को भी अपने जांच के दायरे में लेना चाहिए ताकि अभ्यर्थियों के जीवन के 8 वर्ष बर्बाद करने के जिम्मेदार लोगों को दंड मिल सके।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *