त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने बर्खास्त 10,323 सरकारी शिक्षकों को बिना किसी चयन प्रक्रिया के वैकल्पिक रोजगार प्राप्त करने संबंधी याचिका को खारिज कर दिया। पिछले वर्ष उच्चतम न्यायालय के एक आदेश के बाद इन शिक्षकों को बर्खास्त कर दिया गया था क्योंकि शीर्ष न्यायालय ने चयन प्रक्रिया पर सवाल उठाया था।
त्रिपुरा उच्च न्यायालय ने सोमवार को याचिकाकतार्ओं की वह याचिका खारिज कर दी जिसमें याचिकाकर्ता बिजॉय कृष्णा साहा, राजीव दास और अरुण भौमिक ने अपनी याचिका में राज्य सरकार को बिना किसी भी चयन प्रक्रिया का पालन किए रिक्त सी और डी समूह पद पर रोजगार प्रदान करने के लिए निर्देश देने की मांग की थी।
न्यायमूर्ति अरिंदम लोध ने लंबी सुनवाई के बाद याचिका को खारिज कर दिया और रोजगार पाने के उनके इस दावे को अवैध करार देते हुए कहा कि और कोई भी न्यायालय किसी भी राज्य सरकार या फिर किसी प्राधिकरण को किसी भी सार्वजनिक पद पर ऐसा रोजगार प्रदान करने के लिए मजबूर नहीं कर सकती और न ही ऐसे निर्देश दे सकती है, जिसमें बिना किसी चयन प्रक्रिया के पदों पर नियुक्ति की गई हो।उच्च न्यायालय ने कहा कि इससे पहले, “शीर्ष अदालत ने स्पष्ट किया है कि राज्य सरकार चयन प्रक्रिया आयोजित करने के लिए बाध्य है, जिसमें बर्खास्त शिक्षक आयु में छूट के हकदार होंगे और विभिन्न विभागों द्वारा निकाले गए पदों के लिए इससे संबंधित लागू भर्ती नियमों में उल्लिखित अन्य पात्रता मानदंडों में कोई छूट नहीं दी गई।