कांवड़ यात्रा पर बंद हुआ केस, अब बकरीद में ढील पर उठा सवाल, SC का केरल सरकार को नोटिस

कोरोना संक्रमण के नए केस सबसे ज्यादा केरल में हैं। इसके बावजूद राज्य में बकरीद को लेकर कोरोना नियमों में ढील देने का आदेश दिया गया है। इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने राज्य सरकार को इस रियायत पर चेताया था और अब सुप्रीम कोर्ट ने भी केरल सरकार से जवाब मांगा है। सुप्रीम कोर्ट अब इस मामले पर मंगलवार यानी कल सुनवाई करेगा।

बकरीद के मौके पर कोरोना प्रतिबंधों में ढील देने के केरल सरकार के फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की गई थी। याचिकाकर्ता ने कहा था कि यह ढील ऐसे समय दी जा रही है जब राज्य में कोरोना संक्रमण बढ़ रहा है और संक्रमण दर भी ऊंची होती जा रही है।

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा रोकने को लेकर दी अपनी टिप्पणी के बाद उत्तर प्रदेश सरकार की ओर से कांवड़ यात्रा पर रोक लगाने का भी संज्ञान लिया और इस केस को बंद कर दिया। सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश प्रशासन से यह भी कहा है कि वह राज्य में कोरोना संबंधी ऐसे किसी भी नियम की अनदेखी होने से रोके, जिससे नागरिकों का जीवन खतरे में पड़ता हो।

इससे पहले डॉक्टरों के संघ इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने भी केरल सरकार के फैसले से नाखुशी जाहिर की थी। आईएमए ने स्पष्ट कहा था कि अगर केरल सरकार बकरीद में कोरोना नियमों में रियायत देने के अपने फैसले को वापस नहीं लेगी तो वह सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाएगी।

ईद के तीन दिन पहले से दी गई छूट
केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन ने शनिवार को ऐलान किया था कि बकरीद के मौके पर राज्य में लगे  के प्रतिबंधों में छूट दी जाएगी। इस बुधवार को होने वाली ईद के लिए रविवार से यह छूट तीन दिन के लिए दी गई है। इस दौरान कपड़े, जूते-चप्पल की दुकान, ज्वैलरी की दुकान, गिफ्ट आइटम की दुकान, घर के सामान और इलेक्ट्रॉनिक्स स्टोर और रिपेयरिंग सेंटर को खोलने की मंजूरी दी गई है। इतना ही नहीं बल्कि उन्होंने  फिल्मों की शूटिंग और पूजा स्थलों को भी लॉकडाउन संबंधित छूट देने की घोषणा की है। इसको लेकर विजयन ने तर्क दिया कि  प्रतिबंध चाहे कितना भी सीमित क्यों न हो, बड़ी आर्थिक और सामाजिक समस्याएं पैदा कर रहे हैं और इसलिए कोरोना के रोजाना सामने आ रहे मामलों को ध्यान में रखते हुए कुछ रियायतें दी जा रही है।

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