पेट्रोल-डीजल की बढ़ती कीमतों से मैन्युफैक्चरिंग लागत बढ़ी तो थोक महंगाई दर रिकॉर्ड लेवल पर पहुंच गई। थोक महंगाई दर 12.94% पर पहुंच गई है। यह मई 2020 में -3.37% रही थी। वहीं, खुदरा महंगाई दर 6.26 फीसद पर है और यह मई की तुलना में जून में थोड़ी राहत दी है। यह मई में 6.3% और अप्रैल में 4.23% पर थी।
पेट्रोल-डीजल की कीमतें बढ़ने से महंगाई ज्यादा बढ़ी है। खाने-पीने के सामान भी मई में 5.01% महंगे हुए हैं। ये दर अप्रैल में 2.02% थी। इनमें प्रमुख रूप से खाद्य तेल, फल, अंडे, मांस-मछली, सब्जियां और घी का अधिक योगदान है। इसके अलावा मसालों, चीनी और दाल भी महंगे हुए हैं। सबसे ज्यादा महंगा तेल और घी हुए हैं। ये महीनेभर में करीब 31% उछले हैं। अंडे और सॉफ्ट ड्रिंक्स की कीमतें 15-15% बढ़ी है।
केंद्र सरकार ने रिजर्व बैंक को 2 फीसद के घट-बढ़ के साथ खुदरा मुद्रास्फीति 4 फीसद पर रखने की जिम्मेदारी दी है, लेकिन कंज्यूमर प्राइस इंडेक्स (CPI) आधारित रिटेल महंगाई दर का आंकड़ा रिजर्व बैंक के दायरे से भी बाहर निकल गया है। यह 2-6% के बीच है। इससे पहले लगातार 5 महीने से खुदरा महंगाई दर इसी दायरे में रही थी। बैंक नीतिगत दरें तय करते समय खुदरा महंगाई को ध्यान में रखता है। यह दर ज्यादा होगी तो आपकी ईएमआई कम नहीं होगी।देश के पूर्व सांख्यिकीविद् प्रणब सेन ने ‘हिन्दुस्तान’ को बताया कि मई में कोरोना की दूसरी लहर पीक पर थी और ग्रामीण इलाकों में ज्यादा असर देखने को मिला। इससे वहां सप्लाई नेटवर्क बुरी तरह प्रभावित हुआ।