टीकाकरण पर कनाडा की राष्ट्रीय सलाहकार समिति ने गुरुवार को कहा कि जिन लोगों ने वैक्सीन की पहली खुराक एस्ट्राजेनेका की ली है उन्हें अपने दूसरे शॉट के लिए फाइजर-बायोएनटेक या मॉडर्ना लेना चाहिए।
1 जून को, समिति ने कहा था कि एस्ट्राजेनेका की वैक्सीन ले चुके लोग दूसरे शॉट के लिए “फाइजर या मॉडर्न” ले सकते हैं। लेकिन गुरुवार को एमआरएनए टीका “प्राथमिक” विकल्प बताया गया। ये पहली बार है जब सलाहकार समिति ने दो अलग-अलग वैक्सीन शॉट पर बात की है। वहीं सबूत सामने आने लगे हैं कि जब एस्ट्राजेनेका वैक्सीन की पहली खुराक के बाद दूसरी खुराक के रूप में एमआरएनए वैक्सीन ली जाए तो इससे इम्यूनिटी बेहतर होती है।
समिति ने अपनी पिछली सिफारिश को भी अपडेट किया कि COVID-19 मरीजों के संपर्क में आने वाले लोग फाइजर या मॉडर्न का इंतजार करने की जगह एस्ट्राजेनेका ही ले सकते हैं। साथ ही कहा हर किसी को हमेशा mRNA टीके को प्राथमिकता देनी चाहिए।
इधर भारत की बात करें तो सीरम इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया (एसआईआई) सितंबर तक देश में कोवावैक्स पेश करेगा। इसके विकास से परिचित लोगों ने गुरुवार को न्यूज एजेंसी एएनआई को यह जानकारी दी। कोवावैक्स अमेरिकी फर्म नोवावैक्स के कोविड -19 वैक्सीन का एक रूप है। सीरम इंस्टीट्यूट ने यह भी कहा कि वह जुलाई में बच्चों के लिए नोवावैक्स का क्लिनिकल परीक्षण शुरू करेगा।
नोवावैक्स वैक्सीन ने परीक्षण के दौरान कोविड -19 के उभरते वेरिएंट के खिलाफ मजबूत प्रभाव दिखाया है। बायोटेक फर्म ने 14 जून को यह जानकारी दी थी। यह चौथी वैक्सीन है जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका ने कोरोना के खिलाफ हथियार के तौर पर चुना। नोवावैक्स इंक ने कहा कि वैक्सीन की खुराक कोविड -19 को रोकने में 90 प्रतिशत प्रभावी है। मध्यम और गंभीर लक्षणों को रोकने में 100 प्रतिशत असरदार है।