पश्चिमी उत्तर प्रदेश की सबसे बड़ी चोरी को अंजाम देने के लिए 10 आरोपियों ने मिलकर नया गिरोह बनाया और पहली बार में ही 36 किलो सोना और छह करोड़ रुपये चुरा लिए। इन चोरों का अभी तक कोई आपराधिक रिकॉर्ड पुलिस को नहीं मिला है। पिछले तीन दिन की तलाश में किसी भी आरोपी के खिलाफ किसी थाने में कोई शिकायत दर्ज नहीं मिली है।
अपर आयुक्त कानून और व्यवस्था लव कुमार ने बताया कि इस सबसे बड़ी चोरी की घटना में जो छह आरोपी गिरफ्तार हुए हैं, उनका कोई आपराधिक रिकॉर्ड नहीं मिला है। इनमें से कोई प्रॉपर्टी डीलिंग का छोटा-मोटा काम करता है तो कोई किसी फैक्ट्री का कर्मचारी है और कोई खेती में ही परिवार वालों का हाथ बांटता है। इन सभी लोगों को गोपाल ने एक साथ जोड़कर यह गिरोह बनाया था। गोपाल ही इस पूरी घटना का मास्टरमाइंड है, जो गाजियाबाद के कोतवालपुर का रहने वाला है।
अगस्त में इस घटना को अंजाम देने के बाद सभी लोगों ने आपस में माल का बंटवारा करा और अलग-अलग हो गए। इसके बाद किसी अन्य घटना को अंजाम नहीं दिया। पुलिस की मानें तो गोपाल एक शातिर खिलाड़ी है। उसने साजिश के तहत इतनी बड़ी चोरी की घटना को अंजाम देने के लिए नए लोगों को चुना था। यदि वह पेशेवर अपराधियों को इस सबसे बड़ी चोरी में शामिल करता तो यह उसके लिए खतरनाक साबित हो सकता था।
पेशेवर अपराधी इतने बड़े पैमाने पर नकदी और सोना मिलने के बाद गोपाल को भी नुकसान पहुंचा सकते थे, इसलिए उसने नए लोगों के सहारे इस घटना को अंजाम देने की साजिश रची थी।
एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि गिरफ्तार आरोपियों से पूछताछ में खुलासा हुआ है कि चोरी की घटना को अंजाम देने के बाद जब सभी लोगो में माल का बंटवारा हुआ था तो एक-एक के हिस्से में सोने की चार-चार ईंट और 65-65 लाख का कैश हिस्से में आया था। इन लोगों ने कभी एक साथ पहले इतना पैसा और सोना नहीं देखा था।
चार आरोपी पकड़ से बाहर : राजन, अरुण उर्फ छतरी, जय सिंह, नीरज, अनिल निवासी सलारपुर नोएडा और बिंटू शर्मा निवासी सलारपुर नोएडा। अभी चार आरोपी पुलिस की पकड़ से बाहर हैं जिनसे अधिकांश सोना बरामद होने की उम्मीद है।
न घटनास्थल का पता और न माल के मालिक का
पुलिस ने इस मामले का खुलासा कर छह चोरों को गिरफ्तार कर लिया, लेकिन अभी तक भी पुलिस न तो वह घटनास्थल पता कर सकी है, जहां पर चोरी की इस सबसे बड़ी घटना को अंजाम दिया गया और ना ही इस घटना में चुराए गए करोड़ों के माल के मालिक का कोई सुराग लगा है। यह चोरी अगस्त महीने में हुई थी, लेकिन दस माह में भी इसके संबंध में कहीं कोई मुकदमा दर्ज नहीं कराया गया। हालांकि, सोसाइटी के लोगों की मानें तो पुलिस पिछले करीब एक सप्ताह से इन चोरों को लेकर सोसाइटी में आ रही थी, लेकिन वह उस फ्लैट को नहीं पहचान सके थे, जहां पर उन्होंने चोरी की थी।
कोरोना के चलते नहीं बेच सके थे चोरी का माल
पुलिस अधिकारियों के अनुसार, कोरोना के चलते चोर सोने को कहीं पर बेच नहीं सके थे क्योंकि सर्राफा बाजार बंद थे। पुलिस की चेकिंग की वजह से वह सोने को बेचने के लिए घर से बाहर नहीं निकाल रहे थे। इसके चलते पुलिस उनसे 14 किलो सोना बरामद करने में सफल रही। एडीसीपी ने बताया कि इन चोरों ने यह सोना अपने परिचितों और रिश्तेदारों के यहां पर छिपा कर रखा था, जिसे पुलिस ने बरामद कर लिया है।
किशलय पांडेय के खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी
इंडिया बुल्स कंपनी से भी किशलय पांडेय और उनके पिता राममणि पांडेय ने जबरन वसूली का प्रयास किया था। कंपनी के कानूनी सलाहकार अशोक सहरावत ने बताया कि किशलय पांडेय पर कार्रवाई हो चुकी है। वह भगोड़ा घोषित है। उसके खिलाफ रेड कॉर्नर नोटिस जारी हो चुका है। 4 जून 2019 को उद्योग विहार थाने में इंडिया बुल्स की ओर से 10 करोड़ की वसूली के प्रयास का केस दर्ज कराया गया था। यह मांग विकास शेखर द्वारा की जा रही थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि असली आरोपी किशलय पांडेय और राममणि पांडेय हैं। राममणि पांडेय इस मामले में एक साल तक जेल में थे।
फरार गोपाल और किशलय खोलेंगे इस मामले के राज
इस मामले में पुलिस के लिए सबसे बड़ी चुनौती गोपाल और किशलय पांडे बने हैं। घटना के खुलासे के बाद से ही दोनों अंडरग्राउंड हैं। किशलय पांडे ने खुद के विदेश में होने की जानकारी पुलिस को दी है। इन दोनों के हाथ में आने के बाद ही करोड़ों के सोने और इस नकदी के बारे में राज खुल सकेंगे। एडीसीपी रणविजय सिंह ने बताया कि गोपाल, किशलय और उसके पिता के बारे में जानकारी जुटाने में नौ टीमें लगी हुई हैं। कोर्ट में पैरवी के लिए एक टीम लगाई गई है। एक टीम जेल से मामले की जानकारी जुटा रही है तो एक टीम पासपोर्ट वैरिफिकेशन में लगी है। उनके करीबियों की भी तलाश की जा रही है।
दस माह पुरानी सीसीटीवी फुटेज जुटा रही पुलिस
इस मामले में अब पुलिस ने सीसीटीवी फुटेज भी जुटानी शुरू कर दी है। सूरजपुर की सिल्वर सिटी डेल्टा वन सोसाइटी में लगे सीसीटीवी कैमरों की फुटेज से पुलिस घटना के संबंध में सुराग तलाश रही है। इसके लिए विशेषज्ञों की मदद भी ली जा रही है। एडीसीपी ने बताया कि जांच में पता चला है कि चोरी की इस घटना को अगस्त के अंतिम सप्ताह में अंजाम दिया गया था। इसके लिए सोसाइटी में लगे सीसीटीवी कैमरों के डेटा को रिकवर करने का प्रयास किया जा रहा है ताकि 10 माह पुरानी रिकॉर्डिंग उन्हें मिल सके और घटना के संबंध में सबूत मिल सकें।