पुलिस में होकर भी आपको राज्य की पुलिस पर भरोसा नहीं.. परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से नहीं मिली राहत

कई आरोपों से घिरे मुंबई पुलिस के पूर्व कमिश्नर परमबीर सिंह को सुप्रीम कोर्ट से राहत नहीं मिली है। परमबीर सिंह की उस याचिका को सुनने से सुप्रीम कोर्ट ने साफ तौर पर इनकार कर दिया है, जिसमें आईपीएस अधिकारी सिंह ने अपने खिलाफ जांच के सभी मामलों को महाराष्ट्र के बाहर किसी स्वतंत्र एजेंसी को हस्तांतरित करने की मांग की है। इतना ही नहीं, सुप्रीम कोर्ट ने परमबीर सिंह को फटकार भी लगाई है और कहा है कि आप खुद पुलिस में हैं और आापको राज्य की पुलिस पर ही भरोसा नहीं है।

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आप 30 साल से पुलिस फोर्स में हैं। अब आप यह नहीं कह सकते कि आप राज्य के बाहर अपनी जांच चाहते हैं। आपको अपनी ही पुलिस फोर्स पर संदेह नहीं हो सकता है। आप महाराष्ट्र कैडर का हिस्सा हैं और अब आपको अपने राज्य के कामकाज पर भरोसा नहीं है? यह एक हैरान करने वाला आरोप है।

दरअसल, शीर्ष अदालत की वेबसाइट पर जारी सूची के अनुसार, शुक्रवार को न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और न्यायमूर्ति वी रामसुब्रमण्यम की अवकाशकालीन पीठ के समक्ष परमबीर सिंह की याचिका पर सुनवाई हुई। कोर्ट ने परमबीर सिंह की याचिका को सुनवाई योग्य नहीं माना। न्यायमूर्ति बीआर गवई ने 18 मई को खुद को इस याचिका पर सुनवाई से अलग कर लिया था। पहले वह दो सदस्यीय पीठ का हिस्सा थे।

इधर, महाराष्ट्र सरकार ने गुरुवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि वह मुंबई पुलिस के पूर्व आयुक्त परमबीर सिंह के खिलाफ एससी/एसटी (अत्याचार रोकथाम) अधिनियम के तहत दर्ज मामले में 15 जून तक उन्हें गिरफ्तार नहीं करेगी। राज्य सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ वकील डेरियस खंबाटा ने अपने शुरुआती बयान में कहा कि पुलिस सिंह को 15 जून तक गिरफ्तार नहीकरेगी।

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