कोरोना वायरस संक्रमण के फैलने की वजह से सरकार चालू वित्त वर्ष में राजस्व संग्रह के लक्ष्य से चूक सकती है। इस महामारी की वजह से मांग और आर्थिक गतिविधियां सुस्त पड़ेंगी, जिससे अगले वित्त वर्ष यानी 2020-21 में भी सरकार के लिए राजस्व संग्रह के लक्ष्य को हासिल करना चुनौतीपूर्ण होगा। भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर पहले ही 11 साल के निचले स्तर पर आ चुकी है। ऐसे में कोरोना वायरस के चलते सरकार ने वीजा पर अंकुश लगाए हैं, जिससे पर्यटन और होटल क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुए हैं।
एक अधिकारी ने कहा कि कोरोना वायरस का प्रभाव जून अंत तक बने रहने की आशंका है। इससे विनिवेश तथा कर संग्रह में और गिरावट आएगी। हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में आयी जोरदार गिरावट से चालू वित्त वर्ष में राजस्व नुकसान की कुछ भरपाई हो सकेगी। अधिकारी ने कहा, ”अंतरराष्ट्रीय स्तर पर कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से चालू खाते का घाटा (कैड) कम होगा और मुद्रास्फीति भी नीचे आएगी, लेकिन आर्थिक गतिविधियों में कमी से कर संग्रह घटेगा।”
हालांकि, कच्चे तेल की कीमतों में गिरावट से भारत पेट्रोलियम कॉरपोरेशन लि. (बीपीसीएल) की रणनीतिक बिक्री प्रभावित हो सकती है। पिछले एक माह के दौरान कंपनी के बाजार पूंजीकरण में भारी गिरावट आयी है। सऊदी अरब और रूस के बीच आपूर्ति सीमित करने के लिए सहयोग की स्थिति टूटने से वैश्विक स्तर पर कच्चा तेल के दाम 20 प्रतिशत घटकर 35 डॉलर प्रति बैरल पर आ गए हैं। इसके अलावा कोरोनावायरस की वजह से सीपीएसई की विनिवेश योजना पर भी असर पड़ा है, क्योंकि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रोड शो को रोकना पड़ा है।
बीएसई का सेंसेक्स बृहस्पतिवार (12 मार्च) को 2,919.26 अंक या 8.18 प्रतिशत टूटकर 32,778.14 अंक पर आ गया। यह सेंसेक्स के इतिहास में एक दिन की सबसे बड़ी गिरावट है। सरकार ने बजट में विनिवेश से 65,000 करोड़ रुपए जुटाने का संशोधित अनुमान लगाया था। अभी तक सरकार विनिवेश से 35,000 करोड़ रुपए ही जुटा पायी है। अधिकारियों का कहना है कि चालू वित्त वर्ष में विनिवेश से राजस्व लक्ष्य से 15,000 से 20,000 करोड़ रुपए कम रह सकता है।
सरकार ने इस साल 31 जनवरी तक 7.52 लाख करोड़ रुपये का प्रत्यक्ष कर संग्रह किया है। संशोधित अनुमान में प्रत्यक्ष कर संग्रह 11.70 लाख करोड़ रुपये रहने का लक्ष्य रखा गया था। अधिकारियों ने कहा कि सरकार अभी 2020-21 के लिए अपने आर्थिक वृद्धि दर को 6 से 6.5 प्रतिशत पर ही कायम रख रही है। चालू वित्त वर्ष में इसके पांच प्रतिशत रहने का अनुमान है। देश में बृहस्पतिवार (12 मार्च) तक कोरोनावायरस के मामलों की संख्या बढ़कर 74 हो गई।