कोरोना संक्रमण को देखते हुए पेंशनधारकों को जीवन प्रमाणपत्र जमा करने के लिए सरकार की तरफ से मोहलत दी गई थी। ऐसे में कई लोगों के जीवन प्रमाणपत्र ट्रेजरी और बैंक में जमा नहीं हो सके हैं। इस बात का फायदा उठाते हुए साइबर ठगों पेंशनधारकों से जालसाजी करने के लिए नया तरीका निकाला है।
एसीपी साइबर क्राइम सेल विवेक रंजन राय के मुताबिक साइबर जालसाजों के पास विभिन्न विभागों से रिटायर हुए कर्मचारियों का डाटा है। जिसकी मदद से वह पेंशनधारकों को फोन करते हैं। विश्वास जीतने के लिए ठग चिह्नित व्यक्ति के सर्विस रिकार्ड, बैंक अकाउंट, पीपीओ (पेंशन भुगतान आदेश) से लेकर मासिक पेंशन की जानकारी देते हैं। फोन पर मौजूद व्यक्ति के सही जानकारी देने पर पेंशनधारक ठग को पेंशन निदेशालय का कर्मी समझ कर विश्वास कर लेते हैं। इसके बाद ठग जीवन प्रमाण पत्र जमा नहीं होने के कारण पेंशन रोके जाने की बात कहते हैं। यह सुनते ही पेंशनधारक हड़बड़ा जाते हैं।
इसका फायदा उठाते हुए ठग पेंशन धारक के मोबाइल पर एक एसएमएस भेजते हैं। जिसमें ओटीपी होता है। पेंशन निदेशालय कर्मी बन फोन करने वाला व्यक्ति पेंशन धारक से ओटीपी बताने के लिए कहता है। यह ओटीपी मिलते ही ठग पेंशनधारक के खाते में जमा रुपये ऑनलाइन दूसरे खाते या ई-वालट में ट्रांसफर कर लेते हैं। एसीपी के मुताबिक पेंशन धारकों को ऑनलाइन प्रमाण पत्र जमा करने के लिए विभाग की तरफ से कोई फोन नहीं किया जाता है। ऐसे में अगर किसी व्यक्ति के पास जीवन प्रमाण पत्र अपडेट करने का फोन आता है। तो वह निश्चित ही ठगी की तरफ से किया गया है। ऐसे फोन आने पर साइबर क्राइम सेल को सूचना दी जा सकी है।