दिल्ली हाईकोर्ट ने सोमवार को कोरोना संक्रमण के मरीजों का इलाज कर रहे अस्पतालों प्रत्येक दो घंटे में खाली और भरे हुए बेड के बारे में जानकारी दिल्ली सरकार को देने को कहा है। न्यायालय ने कहा है कि इसमें कोई परेशानी नहीं है और न ही यह बहुत बड़ा काम है।
जस्टिस विपिन सांघी और रेखा पल्ली की पीठ ने अस्पतालों से कहा कि वह प्रत्येक दो घंटे पर खाली व भरे हुए बेड की जानकारी दिल्ली सरकार या उसके नोडल अधिकारी को देंगे। पीठ ने यह आदेश तब दिया जब मामले में नियुक्त न्याय मित्र ने पीठ को बताया कि अस्पताल मानव संसाधनों की कमी के चलते सरकार को रियल टाइम डाटा नहीं दे रहे हैं। इस पर पीठ ने कहा कि बेड को लेकर अस्पतालों द्वारा रियल टाइम डाटा नहीं जाने के लिए बताए गए कारणों को ठुकराते हुए यह आदेश दिया। साथ ही सरकार को अस्पातलों के खाली बेड के डाटा अपडेट करने को कहा है।
मामले की सुनवाई के दौरान दिल्ली सरकार की ओर से वरिष्ठ अधिवक्ता राहुल मेहरा ने पीठ को बताया कि केंद्र सरकार द्वाा राजधानी में संचालित अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए बेड की संख्या कम करने का आरोप लगाया। मेहरा ने कहा कि पिछले साल केंद्र सरकार द्वारा संचालित अस्पतालों में 4,091 बेड थी, जिसे इस साल घटाकर 3,861 कर दी गई है। मेहरा ने कहा कि जबकि पिछले साल जब मामलों की संख्या इस साल की तुलना में चार गुना कम थी। इसके बाद उच्च न्यायालय ने केंद्र सरकार को आरोपों की जांच करने और जवाब देने को कहा है। पीठ ने केंद्र को इस बारे में रिपोर्ट पेश करने को कहा है कि कुल कितने बेड हैं और इनमें कितने आक्सीजन, आईसीयू और वेंटिलेटर युक्त है।
कृतज्ञता के साथ स्वीकार किएं जाएं सभी विदेशी सहायता
उच्च न्यायालय ने सोमवार को केंद्र सरकार से कहा है कि विदेशों से आने वाली हर छोटी-बड़ी सहायता को उसी कृतज्ञता के साथ स्वीकार की जानी चाहिए, जिसके साथ यह दिया जा रहा था, भले ही वह केवल एक रुपया ही क्यों न हो। पीठ ने केंद्र से कहा कि आपको उस आत्मा का सम्मान करना होगा जिसमें यह सहायता दी जा रही है। पीठ ने कहा कि यदि आपके किसी छोटी सहायता को स्वीकार नहीं करने से आप उस व्यक्ति का बेइज्जत कर रहे हैं।
उच्च न्यायालय ने सरकार से कहा कि भारतीय दूतावासों द्वारा कम मात्रा में विदेशी सहायता स्वीकार क्यों नहीं की जा रही है। केंद्र सरकार की ओर से पेश अधिवक्ता ने पीठ को बताया कि विदेशी सहायता पर न्यूनतम सीमा हो सकती है क्योंकि यह कम मात्रा में सहायता लाना संभव नहीं है। हालांकि, न्यायालय ने टिप्पणी की कि यह अधिकारियों के एक रवैये की समस्या है क्योंकि वे कम मात्रा में सहायता की सराहना नहीं करते हैं। पीठ ने कहा कि हमें आभार के साथ दिए गए एक रुपये को भी कृतज्ञता के साथ स्वीकार करना चाहिए। पीठ ने कहा कि दूतावासों में छोटी मात्रा में सहायता तब तक जमा की जा सकती है, जब तक कि वे भारत में भेजने के लिए पर्याप्त न हों। पीठ ने सरकार के वकील से इस बारे में निर्देश लेने और मंगलवार को होने वाली सुनवाई में सूचित करने को कहल है। न्याय मित्र व वरिष्ठ अधिवक्ता राजशेखर राव ने पीठ को बताया था कि सरकार विदेशों से मिल रही छोटी सहायता को स्वीकार नहीं कर रही है।