बिहार के मुजफ्फरपुर जिले के जूरनछपरा के एक नामी अस्पताल में रविवार को हुई प्रशासनिक छापेमारी में व्यवस्था की सारी पोल खुल गई। छापेमारी में पाया गया कि अस्पताल के कोविड वार्ड में मरीज लावारिस हालत में पड़े थे। वार्ड में न तो डॉक्टर थे न ही असिस्टेंट। एम्बुलेंस की रेट लिस्ट तक नहीं थी। पूछने पर चालकों ने मनमाना किराया तक छापेमारी दल को बताया।
कुव्यवस्था इतनी ही नहीं थी, अस्पताल में इलाज के लिए खर्च का ब्योरा व राशि का रिकॉर्ड तक नहीं दिखाया गया। डीआरडीए निदेशक के नेतृत्व में गया छापेमार दल तब स्तब्ध रह गया, जब अस्पताल प्रबंधन ने रिकॉर्ड उपलब्ध कराने से ही हाथ खड़े कर दिए। डीआरडीए निदेशक के नेतृत्व में जब छापेमार दल कोविड वार्ड पहुंचा तो वहां एक भी डॉक्टर तैनात नहीं था।
इस बारे में प्रबंधन ने बताया कि डॉक्टर थोड़ी देर पहले राउंड लगाकर गए हैं। टीम ने जब भर्ती मरीजों से बात की तो मरीजों ने बताया कि डॉक्टर 24 घंटे में एक बार आते हैं और वह भी बिना हालचाल लिए दवा लिखकर चले जाते हैं। इसके बाद टीम ने अस्पताल प्रबंधन से कहा कि वे डॉक्टरों का ड्यूटी रोस्टर दिखलाएं तो प्रबंधन वह भी नहीं दिखा पाया। इसके बाद टीम ने पूछा कि मरीजों के इलाज के शुल्क का चार्ट कहां है और वसूले गए शुल्क की रिपोर्ट दिखाइए तो इस मामले में भी अस्पताल प्रबंधन ने हाथ खड़े कर दिए। छापेमार टीम ने एम्बुलेंस को लेकर निर्धारित किराये पर भी प्रबंधन कुछ नहीं बोल पाया।
डीएम को रिपोर्ट
दल का नेतृत्व कर रहे डीआरडीए निदेशक ने कहा कि जूरनछपरा स्थित अस्पताल में भारी गड़बड़ी व लापरवाही पाई गई है। इस संबंध में जिला प्रशासन को रिपोर्ट दी जाएगी और कार्रवाई की अनुशंसा की जाएगी।
हर तरफ मची है लूट
कोरोना मरीजों से इलाज के नाम पर दवा से लेकर ऑक्सीजन तक लूट मची है। इसपर नियंत्रण के लिए डीएम ने नगर आयुक्त व पुलिस अधीक्षक नगर के नेतृत्व में भी छापेमारी के लिए अलग टीम का गठन किया है। हालांकि, गठन के दूसरे दिन टीम की ओर कोई एक्शन नहीं दिखा।