EMI का बोझ इस तरह करें कम, जानें कौन-कौन ले सकता है लोन रिस्ट्रक्चरिंग 2.0 का लाभ

भारतीय रिजर्व बैंक ने कोरोना महामारी से त्रस्त व्यक्तिगत कर्जदाता और छोटे कारोबारियों एक बार फिर लोन रिस्ट्रक्चरिंग (कर्ज पुनर्गठन) कराने की सुविधा दी है। ऐसे में अगर आप कोरोना की दूसरी लहर से वित्तीय संकट का सामना कर रहे हैं तो आप अपने होम, कार या पर्सनल लोन का पुनर्गठन फिर से करा कर ईएमआई का बोझ कम कर सकते हैं। आरबीआई की गाइलाइंस के अनुसार 25 करोड़ रुपये तक के लोन का पुनर्गठन कराया जा सकता है।

इस तरह आवेदन करना होगा

आरबीआई की घोषणा के बाद लोन पुनर्गठन का फायदा लेने के लिए सबसे पहले आपको अपने बैंक से संपर्क कर आवेदन देना होगा। बैंक आपके आवेदन मिलने पर अपनी ओर से आपके वित्तीय रिकॉर्ड और लोन पुनर्गठन कराने की वजह की जांच करेगा। बैंक संतुष्ट होने पर आपसे जरूरी दस्तावेज की मांग करेगा। आपके जमा दस्तावेज और आवेदन के सफल सत्यापन के बाद लोन पुनर्गठन कराने की मंजूरी दे देगा। हालांकि, आवेदन को स्वीकार और रद्द करने का अधिकार बैंक के पास ही होगा।

कौन-कौन ले सकता है स्कीम का लाभ

लोन रिस्ट्रक्चरिंग को लेकर आरबीआई ने जो ऐलान किया है, उसके मुताबिक, 25 करोड़ रुपये तक लोन लेने वालों को इस दूसरी रिस्ट्रक्चरिंग का लाभ तभी मिलेगा, जब उस व्यक्ति/ईकाई ने 6 अगस्त को ऐलान किए गए रिजॉलुशन फ्रेमवर्क समेत किसी भी लोन रिस्ट्रक्चरिंग फ्रेमवर्क का लाभ नहीं लिया होगा। वहीं, दूसरी बार लोन रिस्ट्रक्चरिंग का फायदा लेने वाले के लिए बैंक दो साल की अवधि तक राहत दे सकते हैं। आसान भाषा में समझें तो पहले रिस्ट्रक्चरिंग प्लान के तहत 2 साल में जितनी अवधि कम रह गई थी, दूसरे रिस्ट्रक्चरिंग में केवल उतने ही समय तक यह लाभ मिल सकेगा। व्यक्ति/ईकाई को पूरे दो साल का लाभ नहीं मिल सकेगा। इसके अलावा अन्य शर्तों में कोई बदलाव नहीं हुआ है।

कब तक आवेदन करने का मौका

आरबीआई ने ऐलान के साथ यह भी बताया कि लोन रिस्ट्रक्चरिंग की नई व्यवस्था के तहत 30 सितंबर 2021 तक ही आवेदन किया जा सकता है। अगर सभी शर्तें पूरा हो जाती है तो कर्ज लेने वाले व्यक्ति/ईकाई को 90 दिन के अंदर बैंकों को इसे लागू करना होगा।

क्या मूलधन और ब्याज में छूट मिलेगी?

नहीं, ऐसा नहीं होता है। किसी भी लोन पुनर्गठन के तहत आप बस समय सीमा ज्यादा ले सकते हैं। यह इसीलिए कि आप पर भारी- भरकम ईएमआई का बोझ कम हो जाए और आप लंबे समय तक कम किश्त भरें।

लागत का भी ख्याल रखें

वित्तीय विशेषज्ञों का कहना है कि लोन का पुनर्गठन करते बैंक प्रोसेसिंग शुल्क वसूलते हैं। कई बैंक ब्याज दर में मामूली बढ़ोतरी कर सकते हैं। ऐसे में अगर आप अपनी बचत या दूसरे स्रोत से ईएमआई का भुगतान कर सकते हैं तो बचने की कोशिश करें। लोन पुनर्गठन कराने का बुरा असर क्रेडिट स्कोर पर भी होता है। अगर आप नौकरीपेशा हैं और रिटायरमेंट के करीब हैं तो लोन पुनर्गठन विकल्प से लोन चुकाने की अवधि में संभावित विस्तार बेहद जोखिमभरा हो सकता है।

रिस्ट्रक्चरिंग का मतलब क्या है?

जब कोई व्यक्ति या कंपनी लोन लेती है तो तय अवधि में बैंक को ब्याज सहित चुकाना होता है, लेकिन अगर कोई विषम आर्थिक स्थिति या आपदा आ जाती है और लोन चुकाना मुश्किल हो जाता है, तो ऐसी स्थिति में आरबीआई लोन रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा देता है। मान लीजिए आपने 60 महीने के लिए कोई लोन लिया था। रिस्ट्रक्चरिंग की सुविधा के तहत 60 की जगह हो 65 या 70 महीने तक चुकाने का मौका मिलेगा।

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