कितने दिनों तक अगर आप पेटीएम, फोन पे जैसे मोबाइल वाॅलेट का प्रयोग नहीं करते हैं तो वह निष्क्रिय हो जाएगा। यह एक ऐसा सवाल है जिसका स्पष्ट जवाब नहीं है। भारतीय रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने निष्क्रिय पड़े सेविंग और करंट अकाउंट को लेकर एक निश्चित गाइडलाइन तय की है, लेकिन मोबाइल वाॅलेट को लेकर अभी तक आरबीआई की तरफ से कोई गाइडलाइन नहीं बनाई गई है। फिर सवाल है कि अगर कस्टमर अपने वाॅलेट का प्रयोग नहीं करता तो क्या कंपनी उन्हें बंद कर सकती हैं?
पे वर्ड मनी के डायरेक्टर प्रवीण धाभाई इस पूरे मसले पर कहते हैं, ‘कंपनी की अपनी आंतरिक गाइडलाइन होती है जिसके आधार पर वह फैसला लेते हैं।’ उन्होंने कहा, ‘अगर मोबाइल वाॅलेट से एक साल तक कोई ट्रांजैक्शन नहीं होता है तो वह निष्क्रिय हो जाएगा।’ प्रवीण धाभाई के अनुसार मोबाइल वाॅलेट कंपनी आज के वही प्रक्रिया अपना रही हैं जो बैंक, अकाउंट को लेकर अपनाते हैं।
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने सभी बैंकों को निर्देश दिया है कि बैंक ऐसे सभी खातों का एनुअल रिव्यू रखें जिसने कोई लेन-देन पिछले एक या दो साल के दौरान ना हुआ हो। ऐसे खातों को चिंहित करने के बाद बैंक कस्टमर से बातचीत करें, अगर तब भी कोई जवाब नहीं आता है तो फिर ऐसे खातों का संचालन बंद कर दिया जाए।
वाॅलेट कंपनी भी अपने कस्टमर से सम्पर्क करें अगर उनके खातों से कोई लेन-देन एक साल तक नहीं होता है। बैंक अपनी पाॅलिसी के आधार पर भी समय तय कर सकते हैं। अगर कस्टमर की तरफ से जवाब आता है तो उनका वाॅलेट सक्रिय रखें, नहीं तो बंद कर दें। ज्यादातर वाॅलेट कंपनी ग्राहकों को तीन साल तक समय दे रही हैं।
अभी तक के नियमों के अनुसार अगर क्सटमर ‘वाॅलेट’ को बंद करने का निर्णय करता है तो वह पैसा वापस नहीं आएगा। ऐसे में ग्राहकों के पास सिर्फ एक विकल्प है की वह खाते में मौजूद पैसों को खर्च कर दे। धाभाई बताते हैं, ‘रिजर्व बैंक पैसों को बैंक खातों में भेजने की अनुमति देता है।’