आखिरी किला बचा पाएगा लेफ्ट? केरल में इस समुदाय के हाथ में है हार-जीत की चाबी, जानें सभी सियासी समीकरण

केरल विधानसभा चुनाव की दिशा इस बार काफी हद तक मछुआरों के रुख पर टिकी हुई है। कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने समुद्र में मछली पकड़कर और मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय की मांग कर उनकी समस्याओं को चुनाव के केंद्र में ला दिया है। वहीं, राज्य की लेफ्ट डेमोक्रेटिक फ्रंट (एलडीएफ) सरकार भी इस समुदाय को साधने में कोई कसर नहीं छोड़ रही है। यह पहला ऐसा चुनाव है, जिसमें मछुआरों से जुड़े मुद्दे प्रचार का अहम हिस्सा हैं। केरल चुनाव में यूनाइटेड डेमोक्रेटिक फ्रंट (यूडीएफ) ने मछुआरों के लिए अलग घोषणापत्र बनाने का ऐलान करने में भी देरी नहीं की। दरअसल, राहुल गांधी जानते हैं कि विधानसभा चुनाव में इस बार मछुआरे अहम भूमिका निभाएंगे।

केरल के तटीय क्षेत्रों में हार-जीत का फैसला मछुआरा समुदाय करता है। इनमें से अधिकांश इस वक्त एलडीएफ के पास हैं। दक्षिण केरल के ज्यादातर मछुआरे ईसाई और मुस्लिम समुदाय से ताल्लुक रखते हैं। पारंपरिक तौर पर यूडीएफ के साथ रहे, पर पिछले विधानसभा चुनाव के बाद लगातार एलडीएफ को वोट दे रहे हैं। ऐसे में राहुल की पूरी कोशिश अपने खोए हुए जनाधार को दोबारा हासिल करने की है। मछुआरों की समस्याओं का चुनावी मुद्दा बनने से एलडीएफ बैक्रफुट पर है। ऐसे में मछुआरा समुदाय एक बार फिर यूडीएफ की तरफ लौट सकता है।

केरल के साथ तमिलनाडु और पुडुचेरी में भी मछुआरा समुदाय चुनावी रूप से खासा मायने रखता है। तमिलनाडु में एक दर्जन से अधिक सीट ऐसी हैं, जहां मछुआरे हार जीत का फैसला करते हैं। पुडुचेरी में भी पांच-छह सीट पर मछुआरा समुदाय का असर है। ऐसे में राहुल के केरल में मछुआरों के साथ मछली पकड़ने का इन प्रदेशों की सीट पर भी असर पड़ेगा। लिहाजा, विधानसभा चुनाव प्रचार के दौरान कांग्रेस मछुआरों से जुड़े मुद्दों को और तरजीह देगी।

अहमियत
-11 लाख के करीब है केरल में मछुआरों की आबादी
-47 सीटों पर उनका सीधा असर है कुल 140 सीटों में

मछुआरों के मत के मायने
मछुआरा समुदाय केरल, तमिलनाडु, पुडुचेरी के साथ पश्चिम बंगाल चुनाव में भी काफी असरदार साबित होता है। केरल के तटीय क्षेत्रों की 47 सीट पर मछुआरे असर डालते हैं। तमिलनाडु में भी तीन दर्जन से अधिक सीट ऐसी हैं, जहां मछुआरा मतदाताओं की अच्छी खासी तादाद है। पुडुचेरी में तीन सीट पर मछुआरों का वोट निर्णायक साबित होता है। पश्चिम बंगाल में मछुआरों की आबादी 25 लाख के आसपास है। मत्स्यपालन से जुड़ा यह समुदाय चुनाव में कई विधानसभा सीटों पर असर डालता है।

क्या है समस्या
-केरल के मछुआरे गहरे समुद्र में मछली पकड़ने के लिए अमेरिकी कंपनी के साथ किए गए मुख्यमंत्री पी विजयन के नतृत्व वाली सरकार के समझौते से नाराज हैं
-मछुआरों का मानना है कि इससे उनकी आजीविका पर असर पड़ेगा, यूडीएफ समझौते का विरोध कर रही, चुनाव के मद्देनजर एलडीएफ सरकार ने अनुबंध रद्द किया

श्रीलंका की ज्यादती भी बड़ा मुद्दा
श्रीलंकाई सेना की मछुआरों पर ज्यादती भी एक बड़ा चुनावी मुद्दा है। पिछले महीने मत्स्यपालन पर दोनों देशों के संयुक्त कार्य समूह की बैठक में भी यह मुद्दा उठा था। भारत ने श्रीलंका के जलीय क्षेत्र में कथित तौर पर अवैध तरीके से मछली पकड़ने के आरोप में गिरफ्तार मछुआरों को जल्द रिहा करने पर जोर दिया था।

मंत्रालय को लेकर आमने-सामने
राहुल गांधी ने चुनाव प्रचार में मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय बनाने की मांग की है। इस पर भाजपा के तमाम छोटे बड़े नेताओं ने कांग्रेस नेता पर पलटवार किया। सरकार का कहना है कि 2019 में अलग मंत्रालय बनाया जा चुका है। इस पर राहुल ने कहा कि वह मंत्रालय में मत्स्य विभाग नहीं, बल्कि मछुआरों के लिए अलग मंत्रालय बनाने की मांग कर रहे हैं।

आखिरी किला बचाने की जुगत में लेफ्ट
-केरल विधानसभा चुनाव वामदलों के लिए सबसे अहम माना जा रहा है
-पूर्वोत्तर में अपना गढ़ त्रिपुरा गंवाने के बाद केरल उनका आखिरी किला
-हिंदू मतदाताओं को भाजपा हिंदुत्व के मुद्दे पर लुभाती नजर आ रही है

विधानसभा की मौजूदा स्थिति
दल : सीट

-एलडीएफ : 91
-यूडीएफ : 43
-अन्य : 2
(नोट : चार सीटें खाली हैं।)

-केरल : 140 सीट
-चरण : 01
-मतदान : 06 अप्रैल
-मतगणना : 02 मई

प्रमुख चुनावी मुद्दे
-हिंदू मतदाता : केरल में 54.7 फीसदी आबादी हिंदुओं, 26.7 फीसदी आबादी मुस्लिमों और 18.4 फीसदी आबादी ईसाइयों की है। यहां हिंदुओं की संख्या काफी ज्यादा है। बावजूद इसके सीपीआई (एम) के गढ़ में भाजपा को कई चुनौतियां मिल रहीं हैं। वामदल भी अपनी साख बचाने के लिए भाजपा के खिलाफ जोरशोर से अभियान चला रहे हैं।

-लव जिहाद : केरल की राजनीति में सीपीआई (एम) और कांग्रेस का दबदबा है। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने असम में रैली के दौरान यूपी की तरह केरल में लव जिहाद के खिलाफ राज्य में कानून लाने का वादा किया है।

-सबरीमाला : केरल में सबरीमाला का मुद्दा भी मतदाताओं को प्रभावित कर सकता है। इसी को देखते हुए राज्य सरकार ने नागरिकता संशोधन कानून (सीएए) के साथ-साथ सबरीमाला मंदिर से जुड़े मुकदमों को भी वापस ले लिया है।

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