कभी गांधी परिवार के करीबियों में थे आनंद शर्मा, अब क्यों बने ‘G23’ का हिस्सा, पढ़ें इनसाइड स्टोरी

जम्मू-कश्मीर में कांग्रेस से नाराज चल रहे पार्टी के 23 नेता एक बार फिर इकट्ठे हुए। इस दौरान हाल ही में राज्यसभा से रिटायर हुए गुलाम नबी आजाद, कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा तीनों ही भगवा रंग का साफा पहने दिखे। तीनों ने एक सुर में पार्टी के कमजोर होने को लेकर सवाल उठाए लेकिन कांग्रेस के बागियों में एक नाम जो सबको हैरान कर रहा है वह है आनंद शर्मा। आनंद शर्मा एक समय में गांधी परिवार के आंख-कान माने जाते थे लेकिन अब उन्होंने भी बगावती सुर अपना लिए हैं और पार्टी की जमकर आलोचना कर रहे हैं। शर्मा ने मंच से जरूर कहा कि वह एक मजबूत पार्टी चाहते हैं लेकिन सच क्या सिर्फ इतना ही है?

राजनीतिक जानकारों का मानना है कि आनंद शर्मा की नाराजगी की वजह कुछ और है। फिलहाल जम्मू में नाराज नेताओं की सभा आयोजित हुई थी लेकिन संभवत: यह आखिरी जगह नहीं। बल्कि अब अन्य राज्यों में भी ऐसी ही सभाओं का आयोजन किया जाएगा और अगली सभा हिमाचल प्रदेश में हो सकती है। खास बात यह है कि आनंद शर्मा यहीं से आते हैं।

आनंद शर्मा की नाराजगी दरअसल राज्यसभा में उन्हें विपक्ष का नेता न बनाए जाने को लेकर है। खबरों के मुताबिक, 15 फरवरी को गुलाम नबी आजाद का कार्यकाल खत्म होने के बाद आनंद शर्मा चाहते थे कि अब उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता बनाया जाए लेकिन ऐसा हुआ नहीं। उनकी बजाय राहुल गांधी के विश्वसनीय माने जाने वाले मल्लिकार्जुन को तरजीह दी गई। अब आनंद शर्मा खड़गे से आदेश नहीं लेना चाहते। आनंद शर्मा राज्यसभा में कांग्रेस के उपनेता हैं।

हालांकि, माना यह भी जाता है कि बीते साल कांग्रेस पार्टी में बदलाव की मांग लिए सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखने वालों में आनंद शर्मा के शामिल होने की वजह से ही पार्टी आलाकमान भी उनसे नाराज है। यही वजह रही कि उन्हें राज्यसभा में विपक्ष का नेता नहीं बनाया गया।

बहरहाल, वजह जो भी हो लेकिन कांग्रेस के वरिष्ठ नेता आनंद शर्मा अब सीधे पार्टी नेतृत्व पर सवाल उठा रहे हैं। उन्होंने जम्मू में भी यह साफ कहा कि मुझे यह कहने में कोई हिचकिचाहट नहीं है, कांग्रेस ओहदा दे सकती है पर नेता वही बनते हैं जिनको लोग मानते हैं। शर्मा के इस बयान से उनकी नाराजगी साफ झलकती है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *