देश में एक तरफ बेरोजगारों की फौज खड़ी वहीं नौकरी करने वालों पर काम का बोझ दुनिया में सबसे ज्यादा है। विश्व श्रम संगठन के आंकड़ों के मुताबिक भारतीय कामगार या कर्मचारी सप्ताह में औसतन 48 घंटे काम करते हैं जो दुनिया में सबसे अधिक है। आंकड़ों के मुताबिक भारत में कर्मचारी केवल काम ही ज्यादा नहीं करते बल्कि उसके बदले उन्हें मिलने वाला मेहनताना भी उसकी तुलना में कम है जो चिंता का विषय है।
जांबिया-मंगोलिया की श्रेणी में भारत
आंकड़ों के मुताबिक भारत में कर्मचारियों पर काम का दबाव बहुत ज्यादा है। काम के दबाव के मामले में भारत जांबिया, मंगोलिया, मालदीव और कतर जैसे देशों की श्रेणी में खड़ा है। जांबिया और मंगोलिया की गिनती दुनिया के गरीब देशों में होती है। जबकि भारत दुनिया की सबसे तेज बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है।
औसतन 11 घंटे ज्यादा काम
अमेरिका के मुकाबले भारत में कर्मचारी हर हफ्ते औसतन 11 घंटे काम करते हैं, जबकि ब्रिटेन और इजरायल के मुकाबले भारतीय 12 घंटे अधिक काम करते हैं। हालांकि, चीन के मुकाबले भारतीय महज दो घंटे ज्यादा काम करते हैं।
सबसे कम मिलता है वेतन
आंकड़ों में बेहद चौंकाने वाली बात सामने आई है। आप यदि यह सोंच रहे हैं कि भारतीयों को अधिक काम के बदले भुगतान भी ज्यादा होता होगा तो आप गलत हैं। अधिक काम करने के बावजूद भारतीय सबसे कम भुगतान या मेहनताना पाने वालों में शामिल हैं।
युवाओं में बेरोजगारी अधिक
भारत में मौजूदा समय में कामगार काम के बोझ तले दबे जा रहे हैं। वहीं युवाओं की एक बड़ी आबादी बेरोजगार है। इसमें मिलेनियल यानी 1980 के बाद पैदा हुए लोग शामिल हैं। भारत को युवाओं का देश माना जाता है और यहां की 35 फीसदी आबादी युवा है। लेकिन काम नहीं होने से यह वर्ग मुश्कलों से गुजर रहा है।
अधिक काम या बेहतर काम
रिपोर्ट में कहा गया है कि विशेषज्ञ आंकड़ो के विश्लेषण के जरिये यह समझ पाने की कोशिश कर रहे हैं कि अधिक काम महत्वपूर्ण है या बेहतर काम। इसमें कहा गया है कि श्रम कानून सख्त होने से कंपनियां कई बार चाह कर भी कम क्षमता वाले कर्मचारी को हटा नहीं पाती हैं। इसकी वजह से वह नई नियुक्तियां भी कम करती हैं।
कहां कितना काम
- 37 घंटे हर हफ्ते अमेरिका में काम करते हैं लोग
- 36 घंटे ब्रिटेन में हर हफ्ते काम करते हैं कर्मचारी
- 36 घंटे हर हफ्ते इजरायल में काम करते हैं लोग
- 46 घंटे काम करते हैं चीन में कर्मचारी