कोरोना वायरस की महामारी से निपटने के लिए अगर कोई देश चीन से ज़रूरी चीज़ों की ख़रीदारी करता है और उसे मंगाने के लिए हवाई जहाज़ भेजना चाहता है तो उसे कुछ सवालों पर ग़ौर करना होगा. जैसे कि प्लेन का रूट क्या हो, उसे कहां रुकना चाहिए, कहां नहीं…? ताकि वो जहाज़ मंज़िल तक पहुंच जाए और रास्ते में किसी दूसरे देश की सरकार उसे ज़ब्त न कर ले.
मुमकिन है कि आपको लगे कि ये कैसी पहेली बुझाई जा रही है. लेकिन सच तो ये है कि दुनिया के कुछ देश इस सवाल का सामना कर रहे हैं, ख़ासकर पेरू की सरकार. दुनिया में स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर जिस तरह की आपातकालीन स्थिति बन गई है, उसकी वजह से मास्क, रेस्पिरेटर्स, मैकेनिकल वेंटिलेटर्स की मांग बढ़ गई है और ये आसानी से मिल नहीं रहे हैं.
कारोबारी लड़ाई की तस्वीर उभरती हुई दिख रही है और कई देशों की सरकारें इसकी शिकायत कर रही है. भले ही इसमें कुछ भी ग़ैर-क़ानूनी नहीं हो पर हालात अच्छे नहीं कहे जा सकते. महामारी का सामना करने के लिए आम नागरिकों को ज़रूरी चीज़ों की आपूर्ति नहीं हो पा रही है. फ्रांस में ‘मास्क वॉर’ के बारे में बात हो रही है.